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________________ २५४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष कुहाड-कूय कुहाड पुं[कुठार] फरसा। जनक स्थान । शिखर । पर्वत का मध्य भाग । कुहाडी स्त्री [कुठारी] कुल्हाड़ी । पाषाणमय यन्त्र-विशेष । समूह । °कारि वि कुहावणा स्त्री [कुहना] आश्चर्य-जनक, दम्भ- [°कारिन्] दगाखोर । ग्गाह पुं [°ग्राह] क्रिया। लोगों से द्रव्य हासिल करने के लिए धोखे से जीवों को फंसानेवाला । °जाल न. किया हुआ कपट-भेष । धोखे का जाल, फाँसी। °तुला स्त्री. झूठी कुहिअ वि [दे] लिप्त । नाप । °पास न [°पाश] एक प्रकार की कुहिअ वि [कुथित] थोड़ी दुर्गन्धवाला । सड़ा | मछली पकड़ने का जाल । °प्पओग पं हुआ । विनष्ट । 'पूइय वि [पूतिक] अत्यन्त । [प्रयोग] प्रच्छन्न पाप । °लेह पुं[°लेख] सड़ा हुआ। दूसरे के हस्ताक्षर-तुल्य अक्षर बना कर धोखेकुहिणी स्त्री [दे] कूर्पर । रथ्या, महल्ला । बाजी करना । दूसरे के नाम से झूठी चिट्ठी कुहिल पुंस्त्री [कुहुमत्] कोयल पक्षो । वगैरह लिखना । 'वाहि पुं ["वाहिन्] बैल । कुह स्त्री. कोकिल पक्षी की आवाज । °सक्ख न [°साक्ष्य] झूठी गवाही । °सक्खि कुहुण देखो कुहण = कुहन । वि [°साक्षिन्] झूठी साक्षो देनेवाला । कुहुव्वय पुं [कुहुव्रत] कन्द-विशेष । °सक्खिज्ज न [°साक्ष्य] झूठी गवाही । कुहेड पुं [दे] ओषधी-विशेष, गुरेटक, एक °सामलि स्त्री [°शाल्मलि] वृक्ष-विशेष के प्रकार का हर का गाछ । आकार का एक स्थान, जहाँ गरुड-जातीय देवों का निवास है। नरक-स्थित वृक्षकुहेड । पुं [कुहेट, °क] चमत्कार उपकुहेडअ ) जानेवाला मन्त्र-तन्त्रादि ज्ञान । विशेष । गार न. शिखर के आकारवाला घर । पर्वत पर बना हुआ घर । पर्वत में आभाणक। कुहेडग पुंन [दे] अजमा। खुदा हुआ घर । हिंसा-स्थान । °गारसाला कुहेडगा स्त्री [कुहेटका] पिण्डालु । स्त्री [°गारशाला] षड्यन्त्र वाला घर, षड्यन्त्र करने के लिए बनाया हुआ घर । कूअ देखो कूव = कूप । पहच्च न [हित्य] पाषाण-मय यन्त्र की कूअण न [कूजन] अव्यक्त शब्द । वि. ऐसी | तरह मारना, कुचल डालना । आवाज करनेवाला । कूइआ स्त्री [कूपिका] छोटा कूप । । लगातार २७ दिन का उपवास । कूइय न [कूजित] अव्यक्त आवाज । कूइया स्त्री [कूजिका] किवाड़ आदि का | कूडग देखो कूड। अव्यक्त आवाज । कूण अक [कूणय] संकुचित होना । कूचिआ स्त्री [कूचिका] दाढ़ी-मूंछ का बाल । कूणिअ वि [दे] ईषद् विकसित । कूचिया स्त्री [कूचिका] बुबुद, बुलबुला। कूणिअ ' [कूणिक] राजा श्रेणिक का पुत्र । कूज अक [कूज्] अव्यक्त शब्द करना । कूणिय वि [कूणित] सड़ा हुआ। कूड सक [कूटय] झूठा ठहराना । अन्यथा । कूय अक [कूज्] अव्यक्त आवाज करना । करना। कूय पुं [कूप] कुंआ । घी, तेल वगैरह रखने कूड पुं [दे. कूट] फाँसी, जाल । का पात्र । ददुर पुं ["दर्दुर] कूप का कूड पुंन [कूट] असत्य, छल-युक्त । भ्रान्ति- मेढ़क । वह मनुष्य जो अपना घर छोड़ जनक वस्तु । कपट । धोखा । नरक । पीड़ा- बाहर न गया हो, अल्पज्ञ । देखो कूव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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