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________________ कोलिआ-कुऊल संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष कीलिआ स्त्री कीलिका] खूटी। शरीर- क्षुद्र जन्तु । वि. कुतीर्थिक, दूषित धर्म का संहनन-विशेष, शरीर का एक प्रकार का अनुयायी। °लिंगि पु [लिङ्गिन्] कीट बाँधा, जिसमें हड्डियाँ केवल खूटी से बंधी हुई वगैरह क्षुद्र जन्तु । वि. कुतीर्थिक, असत्य धर्म हों ऐसा शरीर-बन्धन । का अनुयायी। वय न [°पद] खराब शब्द । कीव पु [क्लीब] नपुंसक । वि. कातर, °वियप्प पु[विकल्प] कुत्सित विचार । अधीर । °वुरिस देखो °उरिस । संसग्गपु[°संसगं] कोव पु [दे. कीव] पक्षि-विशेष । दुर्जन-संगति । सत्थ पुन [°शास्त्र] कीस वि [कीदृश] कैसा, किस तरह का। कुत्सित शास्त्र, अनाप्त-प्रणीत सिद्धान्त । कीस वि [किस्व] कैसे स्वभाव का । °समय पु. अनाप्त प्रणीत शास्त्र । वि. कुतीकीस अ [कस्मात्] क्यों, किस कारण से ? थिक, कुशास्त्र का प्रणेता और अनुयायी। कोस देखो किलिस्स। °सल्लिय वि [°शल्यिक] जिसके भीतर कु अ. थोड़ा । निषिद्ध, निवारित । कुत्सित । खराब शल्य घुस गया हो यह । °सील न विशेष, ज्यादा । °उरिस पु [पुरुष] [°शील] खराब स्वभाव । व्यभिचार । वि. दुराचारी। अब्रहाचारी। °स्सूमिण पुन दुर्जन । 'चर वि. खराब चाल-चलनवाला, सदाचार-रहित । °डंड पुं [°दण्ड] जिसका [°स्वप्न] खराब स्वप्न । °हण वि [°धन] प्रान्त भाग काष्ठ का होता है ऐसा रज्जु-पाश । अल्प धनवाला। डंडिम वि [°दण्डिम] दण्ड देकर छीना कु स्त्री. पृथिवी, भूमि । °त्तिअ न [त्रिक] हुआ द्रव्य । 'तित्थ न [°तीर्थ] जलाशय स्वर्ग, मर्त्य और पाताल लोक । तीन जगत् में उतरने का खराब मार्ग। दूषित दर्शन । में स्थित पदार्थ । "त्तिअ वि ["त्रिज] तीनों 'तिथि वि ["तीथिन्] दूषित मत का जगत् में उत्पन्न वस्तु । °त्तिआवण पुन अनुयायी । दंडिम देखो °डंडिम। °दसण [°त्रिकापण] तीनो जगत् के पदार्थ जहाँ मिल न ["दर्शन] दुष्ट मत, दूषित धर्म । °दंसणि सकें ऐसी दूकान । 'वलय न. पृथ्वी-मण्डल । वि [°दर्शनिन्] दुष्ट दार्शनिक । दूषित मत कुअरी देखो कुआँरी। का अनुयायी। दिट्ठि स्त्री [°दृष्टि] कुत्सित कुअलअ देखो कुवलय। दर्शन । दूषित मत का अनुयायी। °दिट्ठिय कुआँरी देखो कुमारो। वि [ दृष्टिक] दुष्ट दर्शन का अनुयायी, | कुइअ वि [कुचित] सकुचा हुआ । मिथ्यात्वी । प्पवयण न [प्रवचन] दूषित कुइमाण वि [दे] म्ान, शुष्क । शास्त्र । वि. दूषित सिद्धान्त को मानने- कुइय वि [कुचित अवस्यन्द्रित, क्षरित । वाला। °प्पावयणिय वि [प्रावनिका कुइय वि [कुपित] क्रुद्ध । दूषित सिद्धान्त का अनुसरण करनेवाला। कुइयण्ण पु [कुविकर्ण] इस नाम का एक दूषित आगमन-सम्बन्धी (अनुष्ठान)। भत्त | गृहपति, एक गृहस्थ । न [भक्त] खराब भोजन । "मार पु. कुउअ पुंन [कुतुप घी-तैल वगैरह भरने का कुत्सित मार । मृत-प्राय करनेवाला ताड़न । चमड़े का पात्र-विशेष । देखो कुतुव । रंडा स्त्री [ रण्डा] विधवा । ‘रुव, रूव कुउआ स्त्री [दे] तुम्बी-पात्र, तुम्बा । न [°रूप] खराब रूप । माया-विशेष । लिंग कुउव देखो कुउअ। न [°लिङ्ग] कुत्सित भेष। पु. कीट वगैरह। कुऊल न [दे] नीवी । नारा । अञ्चल । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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