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________________ २४२ युवती। संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष किसरा-कीलिअ किसरा स्त्री [कृशरा] खिचड़ी । कीय वि [क्रीत] खरीदा हुआ, मोल लिया किसल देखो किसलय। हुआ । जैन साधुओं के लिए भिक्षा का एक किसलय पुंन [किसलय] नूतन अंकुर । कोमल दोष । न. खरीद । °कड, गड वि [कृत] पत्ता । °माला स्त्री. छन्द-विशेष । मल्य देकर लिया हुआ । साधु के लिए मोल किसा देखो कासा। से खरीदा हुआ, जैन साधु के लिए भिक्षाकिसाणु पुं [कशानु] अग्नि । चित्रक वृक्ष । दोषयुक्त वस्तु । तीन की संख्या । कीयग पुंकीचक] विराट देश के राजा का किसि स्त्री [कषि] खेती। साला। किसिअ वि [कषित] विलखित, रेखा किया कोया स्त्री [कीका] नयन-तारा । हुआ । जोता हुआ, कृष्ट ! खींचा हुआ। कीर पुं [दे. कीर] शुक । किसीवल पुं [कृषीवल] किसान । कीर पु. काश्मीर देश । वि. काश्मीर देश किसोर पं [किशोर] बाल्यावस्था के बाद की। सम्बन्धी । वि. काश्मीर देश में उत्पन्न । अवस्थावाला बालक । कीरल पु. देश-विशेष । किसोरी स्त्री [किशोरी] कुमारी, अविवाहिता कीरिस देखो केरिस। कीरी स्त्री. कीर देश की लिपि । किस्स देखो किलिस = क्लिश् । कील अक [क्रीड्] खेलना । किह । देखो कहं। कील वि [दे] अल्प। कोल देखो खोल। कीअ देखो कीव । कोइस वि [कीदृश] कैसा, किस तरह का। कील पुंन [दे. कोल] गला । कीलण न [कीलन] खीले में नियन्त्रण । कीकस पु [कीकश] कृमि-जन्तु-विशेष । न. कीलण न [क्रीडन] खेल। धाई स्त्री हड्डी, हाड़ । वि. कठिन, कठोर । कोच देखो कीयग। [ धात्री] बालक को खेल-कूद करानेवाली कीड देखो किड्डु = क्रीड् । दाई। कीड पु[कीट] कीड़ा, क्षुद्र-जन्तु । कीट-विशेष, । कोलणअ न [क्रीडनक] खिलौना । . चतुरिन्द्रिय जन्तु की एक जाति । कोलणिआ । स्त्री [दे] रथ्या, गली । कीडइल्ल विकीटवत कीड़ावाला,कीटकयक्त।। कालणा। कीडय न [कीटज] कीड़े के तन्तु से उत्पन्न कोला स्त्री [दे] नव-वधू । होनेवाला वस्त्र। कीला स्त्री. सुरत समय में किया जाता हृदयकीडा देखो किड्डा। ताड़न-विशेष । कीडाविया देखो किड्डाविया। कीला स्त्री. [क्रीडा] क्रीडन । °वास पु. क्रीड़ा कीडिया स्त्री कीटिका] पिपीलिका । करने का स्थान । कीडी स्त्री [कोटी] ऊपर देखो । कीलाल न. रुधिर । कीण सक [क्री] मोल लेना। कीलावण न [क्रीडन] खेल कराना। कीणास पाकीनाश] यम । 'गिह [गह] कीलावणय न [क्रीडनक] खिलौना । मौत। कीलिअ न [क्रीडित] क्रीड़ा, रमण । कीदिस (शौ) देखो कीरिस । कोलिअ वि [कोलित] खूटा ठोका हुआ। किहं ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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