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________________ किडिया-किब्बिसिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष २३९ किडिया स्त्री [दे] खिड़की। किण्ह देखो कण्ह। किड्ड अक [ क्रीड़ ] खेलना । किण्ह न [दे] बारीक कपड़ा । सफेद कपड़ा। किडकर वि [क्रीडाकर] क्रीड़ा-कारक । किण्हग पुं [दे] वर्षाकाल में घड़ा आदि में किडा स्त्री [क्रीडा] खेल । बाल्यावस्था। होनेवाली एक तरह की काई । किड्डाविया स्त्री [क्रोडिका] बालक को खेल । कूद करानेवाली दाई। । कितव पुं. जूआरी। किढि वि [दे] सम्भोग के लिए जिसको एकान्त कित्त देखो किच्च। स्थान में लाया जाय वह । कित्त देखो किट्ट == कीर्त्तय । किढिण न [किठिन]संन्यासियों का एक पात्र। कित्तय वि [कीर्तक] कीर्तन-कर्ता । किण सक [क्री] खरीदना । कित्तवोरिअ देखो कत्तवीरिअ । किण पु. घर्षण-चिह्न। मांस-ग्रन्थि । सूखा- कित्ता देखो किच्चा = कृत्या । घाव। कित्ति स्त्री [कोत्ति यश । एक विद्या-देवी । किणइय वि[दे] शोभित । केसरि-द्रह की अधिष्ठात्री देवी । देव-प्रतिमाकिणा देखो किण्णा। विशेष प्रशंसा। नीलवन्त पर्वत का एक किणि वि क्रयिन्] खरीदनेवाला । शिखर । सौधर्म देवलोक की एक देवी। पुं. किणिकिण अक [किणिकिणय] किणकिण इस नाम का एक जैन मुनि, जिसके पास आवाज करना। पाँचवें बलदेव ने दीक्षा ली थी। °कर वि. किणिय पु [किणिक] मनुष्य की एक जाति, यशस्कर । पुं. भगवान् आदिनाथ के एक पुत्र जो बाजा बनाती और बजाती है। रस्सी | का नाम | °चंद पुं [°चन्द्र] नप-विशेष । बनाने का काम करनेवाली मनुष्य जाति । । धम्म पुं [°धर्म] इस नाम का एक राजा। किणिय न [किणित] वाद्य-विशेष । °धर पुं. नृप-विशेष । एक जैन मुनि, दूसरे किणिया स्त्री [किणिका]छोटा फोड़ा, फुनसी। बलदेव के गुरु । पुरिस पुं [°पुरुष] कोर्तिकिणिस सक [शाणय् ] तीक्ष्ण करना, तेज प्रधान पुरुष, वासुदेव वगैरह । °म वि [°मत्] करना। कीति युक्त । °मई स्त्री [मती] एक जैन किणो अ [किमिति] क्यों, किसलिए ? साध्वी । ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की एक स्त्री । य किण्ण वि [कीर्ण] उत्कीणं । क्षिप्त । वि [°द] कीर्तिकर । किण्ण पुं [किण्व] फलवाला वृक्ष-विशेष, | कित्ति स्त्री [कृत्ति चमड़ा। जिससे दारू बनता है । न. सुरा बीज, किण्व- कित्तिम वि [कृत्रिम] बनावटी। वृक्ष के बीज, जिसका दारू बनता है । सुरा | कित्तिय वि [कियत्] कितना। स्त्री. किण्व-वृक्ष के फल से बनी हुई मदिरा। किन्न वि [क्लिन्न] गीला । किण्ण वि [दे] शोभमान । किन्ह देखो कण्ह । किण्ण अ [किनम्] प्रश्नार्थक अव्यय । किपाड वि [दे] स्खलित, गिरा हुआ। किण्णर देखो किनर। किब्बिस न [किल्बिष] पाप । मांस । पुं. किण्णा अ [कथम्] क्यों, कैसे ? चाण्डाल-स्थानीय देव-जाति । वि. मलिन । किण्णु अ [किनु] इन अर्थों का सूचक अव्यय- अधम, नीच । पापी, दुष्ट । चितकबरा । प्रश्न । वितर्क । सादृश्य । स्थान । विकल्प । । किब्बिसिय पुं [किल्बिषिक] चाण्डाल-स्थानीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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