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________________ २३८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष किंबोड-किडिभ जाति, जो किम्पुरुष के कण्ठ जितना बड़ा करना । वर्णन करना । कहना। प्रतिपादन होता है। करना । बोलना । किंबोड वि [दे] स्खलित, गिरा हुआ, भूला किट्ट स्त्रीन. धातु का मल, मैल । रङ्ग-विशेष । हआ। तेल, घी वगैरह का मैल । किमज्झ वि [किंमध्य] निःसार । किट्टि स्त्री. अल्पीकरण-विशेष, विभाग-विशेष । किंवयंती स्त्री [किंवदन्तो] जनश्रुति । किट्रिया स्त्री कीटिका] वनस्पति-विशेष । किंसारु पुं [किंशारु] सस्य का तीक्ष्ण अग्र | किट्टिस न. खली, सरसों, तिल आदि का तेल भाग। __ रहित चूर्ण । एक प्रकार का सूत, सृता। किंसुअ पुं [किंशुक] पलाश का पेड़, टेसू । किट्टिस न. ऊन आदि का बाकी बचा हुआ न. पलाश का पुष्प । अंश । उससे बना हुआ सूता। ऊन, ऊँट के किसुग्घ पुं [किंस्तुघ्न] ज्योतिष-प्रसिद्ध एक | बाल आदि की मिलावट का सूता । स्थिरकरण । किट्टी देखो किट्ट = किट्ट । किक्किंडि पुं [दे] साँप। किट्टीकय वि [किट्टीकृत] आपस में मिला किक्किंधा स्त्री [किष्किन्धा] नगरी-विशेष । | हुआ, एकाकार, जैसे सुवर्ण आदि का किट्ट किक्किंधि पु [किष्किन्धि] पर्वत-विशेष । उसमें मिल जाता है उस तरह मिला हुआ। इस नाम का एक राजा । पुर न.नगर-विशेष । किट्ट वि [क्लिष्ट] क्लेश-युक्त । बाधा-युक्त। किच्च वि [कृत्य] करने-योग्य, फरज । पूज- | किट्ठ वि [कृष्ट] जोता हुआ, हल-विदारित । नोय । पु. गृहस्थ । न. शास्त्रोक्त अनुष्ठान, | न. देव-विमान-विशेष । क्रिया, कृति । किट्टि स्त्री [कृष्टि] कर्षण । खींचाव। देवकिच्चंत वि [कृत्यमान] काटा जाता । सताया | विमान-विशेष । कूड न [°कूट] देवविमानजाता । विशेष । °घोस न [°घोष] विमान-विशेष । किच्चण न [दे] प्रक्षालन । जुत्त न [युक्त] विमान-विशेष । ज्झय न किच्चा स्त्री [कृत्या] कर्त्तन । क्रिया, काम । [ध्वज] विमान-विशेष । °प्पभ न [प्रभ] देव वगैरह की मूर्ति का एक भेद । जादू ।। देवविमानविशेष । °वण्ण न [°वर्ण] विमानमहामारी का रोग। विशेष । सिंग न [शृङ्ग] विमान-विशेष । किच्चा देखो कर = कृ का संकृ.। °सिटु न [°शिष्ट] एक देव-विमान । किच्चि स्त्री [कृत्ति मृग वगैरह का चमड़ा । किट्टियावत्त न [कृष्टयावत्तं] देवविमानचमड़े का वस्त्र । भूर्जपत्र । कृत्तिका नक्षत्र । । विशेष । °पाउरण पु [प्रावरण] महादेव । °हर किठुत्तरडिसग न [कृष्ट्यत्तरावतंसक] पु[धर] शिव । इस नाम का एक देवविमान । किच्चिरं अ [कियच्चिरम्] कब तक ? | किडग वि [क्रीडक] क्रीड़ा करनेवाला । किच्छ न [कृच्छ्] दुःख । वि. कष्ट-साध्य । किडि पु [किरि] सूकर । क्रिवि. दुःख से, मुश्किल से ।। किडिकिडिया स्त्री [किटिकिटिका] सूखी किज्ज वि [क्रय] खरीदने-योग्य । हड्डी की आवाज । किज्जअ वि [कृत किया गया, निर्मित । किडिभ पु [किटिभ] एक प्रकार का क्षुद्र किट्ट सक [कीर्तय] श्लाघा करना, स्तुति । कोढ़। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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