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________________ कलिआ--कवड संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २२७ कलिआ स्त्री [दे] सखी। कल्लाण न [कल्याण] सुवर्ण । कलिआ स्त्री [कलिका] कली। कल्लाण पुंन [कल्याण] सुख, मंगल, क्षेम । कलिंग पु [कलिङ्ग] देश-विशेष । कलिङ्ग निर्वाण । विवाह । जिन भगवान् का पूर्व भव देश का राजा । कलिंग पुं. भगवान् आदिनाथ से च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवल-ज्ञान तथा का एक पुत्र । मोक्ष-प्राप्ति रूप अवसर । वैभव । वृक्षकलिंच देखो किलिंच। विशेष । तप-विशेष । देश-विशेष । नगरकलिंज पु[कलिञ्ज] चटाई । विशेष । पुण्य । वि, हित-कारक, सुख-कारक। कलिंज न [दे] छोटी लकड़ी । कडय न [कृतक] नगर-विशेष । कलिंब पुन. बाँस का पात्र-विशेष । सूखी कल्लाणी स्त्री [कल्याणी] कल्याण करनेवाली लकड़ी। स्त्री । दो वर्ष की बछिया। कलित्त न [कटित्र] कमर का पहना जाता कल्लाल पुंकल्यपाल] कलाल । एक प्रकार का चर्ममय कवच । कल्लि अ [कल्ये] कल दिन, कल को । कलिम न [दे] कमल । कल्लुग पुं [कल्लुक] द्वीन्द्रिय जीव-विशेष, कलिमल देखो कलमल = कलकल । । कीट की एक जाति । कलिल वि. गहन, घना, दुर्भेद्य । कल्लुय पुं [कल्लुक] द्वीन्द्रिय जन्तु की एक जाति । कलुण वि [करुण] दीन, दया-जनक, कृपा कल्लुरिया [दे] देखो कुल्लरिया । पात्र । पु. साहित्यशास्त्र-प्रसिद्ध नव रसों कल्लेउय पुंन [दे] कलेवा, प्रातराश । में एक रस । कल्लोडय पुं [दे] दमनीय बैल । कलुणा देखो करुणा। कल्लोडिआ [दे] देखा कल्होडी। कलुस वि [कलुष] अस्वच्छ । न. पाप, दोष, कल्लोल पुं. तरंग, मि । मैल। कल्लोल वि [दे. कल्लोल] दुश्मन । कलेर पु [दे] कङ्काल, अस्थि-पञ्जर । वि. कल्लोलिणो स्त्री [कल्लोलिनी] नदी। भयानक । कल्हार न [कलार सफेद कमल । कलेवर न. देह । कल्हि देखो कल्लि। कलेसुय न [कलेसुक] तृण-विशेष । कलोवाइ स्त्री [दे] पात्र-विशेष ।। कल्होड पुं दे] बछड़ा। कव अक [कु] आवाज करना । कल्ल न [कल्य] कल, गया हुआ या आगामी दिन । शब्द, आवाज । संख्या, गिनती। कवइय वि [कवचित] बख्तरवाला । आरोग्य । सुबह । वि. निरोग । कवंध देखो कमंध। कल्लवत्त पुं [कल्यवर्त्त]प्रातर्भोजन, जलपान । कवग्ग पुं [कवर्ग] 'क' से 'ङ' तक के पाँच कल्लवाल पुं [कल्यपाल] शराब बेचनेवाला। अक्षर । कल्लविअ वि [दे] तीमित, आदित । कवचिअ देखो कवइय । विस्तारित । . कवचिया स्त्री [कवचिका] कलाचिका, कल्ला स्त्री [दे] दारू । प्रकोष्ठ । कल्लाकल्लि । अ [कल्याकल्य] प्रतिदिन ।। कवट्टिअ वि [कर्थित] पीड़ित । कल्लाकल्लि । रोज-सुबह । कवड न [कपट] माया, छद्म, शाब्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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