SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष कलत्त-कलिअ कलत्त न [कलत्र] भार्या । कलहोय न [कलधौत] सुवर्ण । चाँदी । कलधोय देखो कलहोय। कला स्त्री. अंश, भाग, मात्रा । समय का सूक्ष्म कलभ पुंस्त्री. हाथी का बच्चा । बच्चा।। भाग । चन्द्रमा का सोलहवां हिस्सा। कला, कलभिआ स्त्री [कलभिका] हाथी का स्त्री । विद्या, विज्ञान । पुरुष-योग्य कला के मुख्य बच्चा । बहत्तर और स्त्री-योग्य कला के मुख्य चौसठ कलम पुं [दे. कलम चोर । एक प्रकार का भेद हैं । °गुरु पुं [गुरु] कलाचार्य । यरिय उत्तम चावल । पुं [°चार्य] देखो पूर्वोक्त अर्थ । °वई स्त्री कलमल पं. पेट का मल । वि. दुर्गन्धि, दुर्गन्ध- [वती] कलावाली स्त्री। एक पतिव्रता वाला। स्त्री । °सवण्ण न [°सवर्ण] संख्या-विशेष । कलमल पुन [दे] मदन-वेदन । कम्पन, कलाइआ स्त्री [कलाचिका] कोनी से लेकर थरथराहट, घृणा । | मणिबन्ध तक का हस्तावयव । कलय देखो कालय। कलाय पुं [कलाद] सुवर्णकार । कलय पुं[दे] अर्जुन वृक्ष । सोनार । कलाय पुं. गोल चना, मटर । कलय पुं कलाद] सुवर्णकार । कलाव पुं [कलाप] समूह, जत्था। मयूरकलयंदि वि [दे] विख्यात । स्त्री वृक्ष-विशेष, पिच्छ । शरधि, तूण, जिसमें बाण रखे पाडरी, पाढल । जाते हैं । कण्ठ का आभूषण । कलयजल न [दे] ओष्ठ-लेप, होठ पर लगाया | कलावग न [कलापक] चार श्लोकों की एकजाता लेप-विशेष । वाक्यता । ग्रीवा का एक आभरण । कलयल देखो कलकल। कलावय न [कलापक] चार पद्यों की एककलरुद्दाणी स्त्री [कलरुद्राणी] इस नाम का वाक्यता। छन्द । कलावि पुंस्त्री [कलापिन्] मयूर । कलल न. वीर्य और शोणित का समुदाय । | कलि पुं. एक नरकावास । गर्भवेष्टन चर्म । गर्भ के अवयव रूप रेत कलि पुं. झगड़ा। कलियुग । पर्वत-विशेष । विकार । कर्दम । प्रथम भेद । एक, अकेला । दुष्ट पुरुष । कलविक पुं. चटक, गौरिया पक्षी, गौरैया।। °ओग, ओय पुं [ ओज] युग्म-राशिकलवू स्त्री [दे] तुम्बी-पात्र । विशेष । ओयकडजुम्म पु [°ओजकृतकलस पुं [कलश] घड़ा। स्कन्धक छन्द का युग्म] युग्म-राशि-विशेष । "ओयकलिओय एक भेद । पुन. एक देवविमान । वाद्य-विशेष। पु [°ओजकल्योज ] युग्म-राशि-विशेष । कलसिया स्त्री [कलशिका] छोटा घा। °ओजतेओय पु[ ओजन्योज] युग्म-राशिवाद्य-विशेष । विशेष । ओयदावरज़म्म पु[°ओजद्वापरकलह पुं. झगड़ा। युग्म] युग्म-राशि-विशेष । 'कुंड न [°कुण्ड] कलह देखो कलभ । तीर्थ-विशेष । °जुग न [°युग] कलियुग । कलह न [दे] तलवार की म्यान । कलि पुदे] शत्रु । कलह अक [कलहाय] झगड़ा करना, लड़ाई | कलिअ वि [कलित] सहित । गृहीत। विदित । करना। कलिअ देखो कल = कलय् ।। कलहाअ देखो कलह - कलहाय । | कलिअ पु[दे] नकुल । वि. गर्वित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy