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________________ २०२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष क-कउरव क [क]प्राकृत वर्ण-माला का प्रथम व्यञ्जना- केवांच, कौंछ, कवाछ । क्षर, जिसका उच्चारण-स्थान कण्ठ है। कइगई स्त्री [कैकयी] राजा दशरथ की एक ब्रह्मा । किये हुये पाप का स्वीकार । न. रानी । पानी । सुख । देखो 'अ = क । कइत्थ पुं[कपित्थ] कैथ का पेड़ । फल-विशेष । क देखो कि। कइम वि [कतम] बहुत में से कौन सा ? कअवंत देखो कय-व = कृतवत् । कइयव्व देखो कइअव। कइ वि. ब. [कति] कितना । °अ वि [°क] कइयहा (अप) अ [कदा] कब, किस समय ? कतिपय । अव वि [°पय] कतिपय । °इ अ| कइयाइ अ [कदाचित् किसी समय में । [°चित्] कईएक। 'त्थ वि [°थ] कौन | कइर देखो कयर = कतर । संख्या का ? । °वइय, वय, वाह वि[°पय] | कइर पुं [कदर] वृक्ष-विशेष । कईएक। "वि अ [°अपि] कईएक । विह | कइरव न [कैरव] कमल । कुमुद । वि [°विध] कितने प्रकार का । कइरविणी स्त्री [ कैरविणी ] कुमुदिनी, कइ वि [कृतिन्] विद्वान् । पुण्यवान् । कमलिनी । कइ अ [कचित्] कहीं, किसी जगह में। कइलास पुं [कैलास, श] स्वनाम-ख्यात कइ अ [कदा] कब, किस समय ? | पर्वत-विशेष । मेरु पर्वत । देव-विशेष, एक कइ पुं [कपि] बन्दर । °दीव पुं [°द्वीप] नाग-राज । °सय पुं[°शय] महादेव । देखो द्वीप-विशेष, वानर-द्वीप । °द्धय, धय पुं केलास । [ध्वज] वानर-द्वीप के एक राजा का नाम । कइलासा स्त्री [कैलासा, °शा] देव-विशेष की अर्जुन । हसिअ न [°हसित] स्वच्छ आकाश | एक राजधानी। में अचानक बिजली का दर्शन । वानर के | कइल्लबइल्ल पुं [दे] स्वच्छन्द-चारी बैल । समान विकृत मुंह का हंसना । | कइविया स्त्री [दे] बरतन-विशेष, पीकदान । कइ देखो कवि = कवि । °अर (अप) पुं | कइस (अप) वि [कीदश] कैसा । [कवि] श्रेष्ठ कवि । मा स्त्री [त्व]कवित्व। | कईया (अप) देखो कइआ। राय पुं [ राज] श्रेष्ठ कवि । 'गउडवहो' | कईवय देखो कइवय । नामक प्राकृत काव्य के कर्ता वाक्पतिराज- | कईस पुं [कवीश] श्रेष्ठ कवि । नामक कवि। कईसर पुं [कवीश्वर] उत्तम कवि । कइअ वि [क्रयिका खरीदने वाला। कउ पुं [क्रतु] यज्ञ । कइअंक पुं [दे] निकर । | कउ (अप) अ [कुतः] कहाँ से । कइअंकसइ) कउअ वि [दे] मुख्य । पुंन. चिह्न । कइअव न [कैतव] कपट, दम्भ । कउच्छेअय पुं [कौक्षेयक] पेट पर बँधी हुई कइआ अ [कदा] कब, किस समय ? तलवार । कइउल्ल वि [दे] थोड़ा। | कउड न [दे. ककुद] देखो कउह - ककुद । कइंद पुं [कवीन्द्र] श्रेष्ठ कवि । | कउरअ । पुं [कौरव] कुरु देश का राजा । कइकच्छु स्त्री [ कपिकच्छु ] वृक्ष-विशेष, ' कउरव , पुंस्त्री. कुरु वंश में उत्पन्न । वि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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