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________________ कउल - कंगणी कुरु (देश या वंश) से सम्बन्ध रखनेवाला । कुरु देश में उत्पन्न । कउल न [ दे] करीष, गोइँठा का चूर्ण । कउल न [ कौल] तान्त्रिक मत का प्रवर्त्तक ग्रन्थ, कौलोपनिषद् वगैरह । वि. शक्ति का उपासक । तान्त्रिक मत को जाननेवाला । तान्त्रिक मत का अनुयायी । देवता-विशेष | क उलव देखो कउरव । कउसल पुंन [ कौशल ] चतुराई | कुशलता, दक्षता । उह न [दे] नित्य । कउह पुंन [ककुद ] बैल के कन्धे का कुब्बड़ । सफेद छत्र वगैरह राज-चिह्न | पर्वत का अग्रभाग, टोंच । वि. प्रधान, मुख्य । कउहा स्त्री [ककुभ् ] दिशा । शोभा, कान्ति । चम्पा के पुष्पों की माला । इस नाम की एक रागिणी | शास्त्र । विकीर्ण केश । उहि वि [ककुदिन्] वृषभ । कए कणं संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अ [कृते] निमित्त लिए । कएण एल्ल वि [कृत ] किया हुआ । ओ अ [कुत: ] कहाँ से ? । हुत्त क्रिवि [] किस तरफ । कओ अ [क] कहाँ, किस स्थान में । ओह व [कदुष्ण] थोड़ा गरम । कओल देखो कवोल । कं अ [क] उदक | is अ [] किससे । कंक पं [कङ्क] पक्षि-विशेष । एक प्रकार का मजबूत और तीक्ष्ण लोहा | वृक्ष - विशेष | 'पत्तन [पत्र] एक प्रकार का बाण, जो उड़ता है। लोह पुंन. एक प्रकार का लोहा । 'वत्त देखो 'पत्त | कंकइ पुं [कति] वृक्ष - विशेष, नागबलानामक ओषधि । Jain Education International २०३ कंकड पुं [कङ्कट] वर्म, कवच | कंकडुअ पुं [का] दुर्भेद्य माष, उरद की एक जाति, जो कभी पकती हो कंकडुग नहीं । कंकण न [कङ्कण] कँगन । कंकण पुं [दे] चतुरिन्द्रिय जन्तु की एक जाति । कंकणी स्त्री [कङ्कण] हाथ का आभरणविशेष | कति पुं [कङ्कति] ग्राम-विशेष | कंकतिज पुंस्त्री [काकतीय] माघराज वंश में उत्पन्न । नागबला - नामक ओषधि । कंकय पुं [कङ्कत ] सर्प की एक जाति । पुंस्त्री. कंघा । कंकलास पुं [कृकलास] कर्कोट, साँप की एक जाति । कंकसी स्त्री [] कंघी । कंकाल न [कङ्काल] चमड़ी और मांस रहित अस्थिपञ्जर | कंकावंस पुं [कङ्कावंश ] वनस्पति- विशेष | कंकिल्लि देखो कंकेल्लि । कंकुण देखो कंकण = दे | कंकेलि पुं [कङ्केलि] अशोक वृक्ष । कंकेल्लि पुं [दे. कङ्केल्लि] अशोक वृक्ष । कंकोड न [ दे. कर्कोट ] ककरैल, एक प्रकार की सब्जी । पुं. एक नागराज । साँप की एक जाति । कंकोल पुं [कङ्कोल] शीतल-चीनी के वृक्ष का एक भेद । न उस वृक्ष का फल | देखो कक्कोल | कंख सक [काङ्क्ष ] वाञ्छना । कंखा स्त्री [काङ्क्षा ] अभिलाप | आसक्ति । अन्य धर्म की चाह अथवा उसमें आसक्ति रूप सम्यक्त्व का एक अतिचार । 'मोहणिज्ज न ['मोहनोय] कर्म - विशेष । कंगणी स्त्री [दे] वल्ली - विशेष, कांगनी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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