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________________ ओहाडण-ओहूय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २०१ ओहाडण न [अवघाटन] प्रायश्चित्त-विशेष। पदार्थ का अतीन्द्रिय ज्ञान-विशेष । जिण पुं ढकना, पिधान । [°जिन] अवधिज्ञानवाला साधु । °णाण न ओहाडणी स्त्री [दे. अवघाटनो] पिधानी। [ज्ञान] अवधिज्ञान । °णाणावरण न एक प्रकार की ओढ़नी। [°ज्ञानावरण] अवधिज्ञान का प्रतिबन्धक ओहाडिय वि [अवघाटित] पिहित । स्थगित। कर्म । °दसण न [°दर्शन] रूपी वस्तु का ओहाण न [उपधान] स्थगन, ढकना। अतीन्द्रिय सामान्य ज्ञान । °दसणावरण न ओहाण न [अवधान] उपयोग, ख्याल । [दर्शनावरण] अवधिदर्शन का आवारक ओहाण न [अवधावन] अवक्रमण, पीछे कर्म । °मरण न. मरण-विशेष । हटना। ओहिअ वि [अवतीर्ण] उतरा हुआ। ओहाम सक [तुलय] तौलना, तुलना करना । ओहिअ वि [औधिक] औत्सर्गिक, सामान्य ओहामिय वि [दे] अभिभूत । तिरस्कृत । बन्द रूप से उक्त । किया हुआ, स्थगित । ओहिण्ण वि [अपभिन्न] रोका हुआ। ओहार सक [अव + धारय] निश्चय करना । ओहित्थ न [दे] विषाद । रभस, वेग । वि. °व वि [°वत्] निश्चयवाला । नियम करना। विचारित। ओहार पुं [दे] कच्छप । नदी वगैरह के बीच ओहिर देखो ओहीर । की शुष्क जगह, द्वीप । अंश, विभाग। जल- ओहिर देखो ओहर = अप +ह । चर-जन्तु-विशेष। ओहीअंत वि [अवहीयमान] क्रमशः कम ओहारइत्त वि [अवहारयितु] निश्चय करने- होता हुआ। वाला। ओहीण वि [अवहीन] पीछे रहा हुआ । ओहरइत्तु वि [अवहारयितु] दूसरे पर मिथ्या- गुजरा हुआ। भियोग लगानेवाला । ओहीर अक [नि + द्रा] निद्रा लेना। ओहारणी स्त्री [अवधारणी] निश्चयात्मक ओहीर अक [सद्] खिन्न होना । भाषा। ओहीरिअ वि [ अवधीरित ] तिरस्कृत, ओहारिणी स्त्री [अवधारिणी] ऊपर देखो। परिभूत। ओहाव सक [आ + क्रम्] आक्रमण करना । ओहीरिअ वि [दे] उद्गीत । अवसन्न, खिन्न । ओहाव अक [अव + धाव] पीछे हटना। ओहुअ वि [दे] अभिभूत । दीक्षा को छोड़ देना। ओहुंज देखो उवहुंज । ओहावण न [अवभावन] अपमान, अपकीर्ति। ओहुड वि [दे] विफल । ओहावणा स्त्री [अपहापना] लाघव । ओहुप्पंत वि [आक्रम्यमाण] जिसपर आक्रमण ओहावणा स्त्री [अपभावना] तिरस्कार ।। किया जाता हो वह । ओहाविअ वि[अपभावित] तिरस्कृत । ग्लान । ओहुर वि [दे] अवनत, अवाङ्मुख । खिन्न । ओहास पुं [अवहास, उपहास] हँसी। स्रस्त, ध्वस्त । ओहासण न [अवभाषण] याचना। विशिष्ट ओहुल्ल वि [दे] खिन्न । अवनत । भिक्षा। ओहूणण न [अवधूनन] कम्प । उल्लङ्घन । ओहासिय वि [अवभाषित] याचित। अपूर्व करण से भिन्न ग्रन्थि का भेद करना । ओहि पुंस्त्री [अवधि] मर्यादा, सीमा । रूपी- ओहूय वि [अवधूत] उल्लवित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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