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________________ २०० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ओसिरण-ओहाइअ ओसिरण न [दे] व्युत्सर्जन, परित्याग । जाता है वह शिला। ओसीअ वि [दे] अधो-मुख । | ओहट्ट अक [अप + घट्ट ] कम होना, ह्रास ओसीर देखो उसीर। पाना । पीछे हटना । सक. हटाना, निवृत्त ओसीस अक [अप+ वृत्] पीछे हटना । करना । निषेध करना । घूमना, फिरना। ओहट्ट पुं [दे] अवगुण्ठन । नीवी, कटि-वस्त्र । ओसीस वि [अप + वृत्त] अपवृत्त । वि. अपसृत, पीछे हटा हुआ । ओसुअ वि [उत्सुक] उत्कण्ठित । ओहट्ट । वि [अपघट्टक] निवारक, हटानेओसंखिअ वि [दे] उत्प्रेक्षित, कल्पित । ओहट्टय ) वाला, निषेधक । ओसंभ सक [अव+पातय्] गिरा देना । ओहट्टिअ वि [दे] दूसरे को दबाकर हाथ से नष्ट करना। गृहीत । ओसुक्क सक [तिज] तीक्ष्ण करना, तेज ओहट्ट पुं[दे] हास, हँसी। करना। ओहट्ट वि [अवघृष्ट] घिसा हुआ। ओसुक्क वि [अवशुष्क] सूखा हुआ । ओहड वि [अपहृत] नीचे लाया हुआ। ओसुक्ख अक [अव+ शुष्] सूखना। ओहडणी स्त्री [दे] अर्गला। ओसुद्ध वि [दे] विनिपतित । विनाशित । ओहत्त वि [दे] अवनत । ओसुय न [औत्सुक्य] उत्सुकता । ओहत्थिअ वि [अपहस्तित] परित्यक्त, दूर ओसोयणी स्त्री [अवस्वापनी] विद्या- किया हुआ। ओसोवणिया विशेष, जिसके प्रभाव से दूसरे | ओहय वि [उपहत] उपघात-प्राप्त । ओसोवणी को गाढ़ निद्राधीन किया जा | ओहय वि [अवहत] विनाशित । सकता है। ओहर सक [अप+ह] अपहरण करना। ओस्सक्क पुं [अवष्वष्क] अपसर्पण, पीछे ओहर अक [अव+ह] टेढ़ा होना, वक्र हटना। होना । सक. उलटा करना । फिराना। ओस्सा [दे] देखो ओसा। ओहर न [उपगृह] छोटा गृह । कोठरी । ओस्साड पुं [अवशाट] नाश । ओहरण न [दे] विनाशन, हिंसा । असम्भव ओह देखो ओघ । अर्थ की सम्भावना । अस्त्र । वि. आघ्रात । ओह सक [अव+तृ] नीचे उतरना। ओहरिअ वि [दे. अपहृत] फेंका हुआ । नीचे ओह पुन [ओघ] उत्सर्ग, सामान्य नियम । गिराया हुआ । उतारा हुआ । अपनीत । सामान्य । प्रवाह । सलिल प्रवेश । आम्रव- | ओहरिस वि [दे] आघ्रात । पुं. चन्दन घिसने द्वार । संसार । 'सूय न [°श्रुत] शास्त्र- की शिला। विशेष । ओहल देखो उऊखल। ओहंक पुं [दे] हास, हँसी।। ओहल सक [अव + खल्] घिसना । ओहंजलिया स्त्री [दे] क्षुद्र जन्तु-विशेष, | ओहली स्त्री [दे] ओघ, समूह । चतुरिन्द्रिय जीव-विशेष । ओहस सक [उप + हस्] उपहास करना । ओहंतर वि [ओघतर] संसार पार करने- ओहसिअ न [दे] वस्त्र । वि. धूत, कम्पित । वाला। ओहाइअ वि [दे] अधो-मुख । ओहंस पुं [दे] चन्दन । जिसपर चन्दन घिसा | ओहाइअ वि [अवधावित] चरित्र से भ्रष्ट । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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