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________________ १९८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ओववाइय-ओस ढि ओववाइय वि [औपपातिक] एक जन्म से । ओवास पुं [उपवास] उपवास । दूसरे जन्म में जाने वाला। जिसकी उत्पत्ति । ओवासंतर पुन [अवकाशान्तर] आकाश । होती हो वह । पुं. संसारी, प्राणी । देव या | ओवाह सक [अव + गाह.] अवगाहना । नारक जीव का शरीर । जैन आगम ग्रन्थ ओवाहिअ वि [अपवाहित] नीचे गिराया विशेष, औपपातिक सूत्र । । हुआ । घुमाकर नीचे डाला हुआ। ओवसग्गिय वि [औपसर्गिक] उपसर्ग से ओविअ वि [दे] आरोपित । मुक्त। छोना सम्बन्ध रखने वाला, उपद्रव-समर्थ रोगादि। हुआ । न, खुशामद । रोदन । वि. परिकर्मित । शब्द-विशेष, प्र, परा आदि अव्यय रूप शब्द। खचित, व्याप्त । उज्ज्वालित, शृङ्गारित । ओवसमिअ पुन [औपशमिक] उपशम । वि. देखो उविय। उपशम से उत्पन्न । ओविद्ध वि [अपविद्ध] प्रेरित, आहत । नीचे ओवसेर न [दे] चन्दन । वि. रति-योग्य ।। गिराया हुआ। ओवस्सय देखो उवस्सय। ओवील सक [अव + पीडय] पीड़ा पहुँचाना, ओवह सक[ अव + वह ]बह जाना । डूबना । मार-पीट करना। ओवहारिअ वि [औपहारिक] उपहार ओवीलय देखो उध्वीलय । सम्बन्धी। ओवुब्भमाण देखो ओवह का कवकृ. । ओवहिय वि [औपधिक] माया से गुप्त विच ओवेहा स्त्री [उपेक्षा] उपदर्शन । अवधीरण । रनेवाला। °ओव्वण देखो जोवण। ओवाअअ पं [दे] जल-समूह की गरमी । ओव्वत्त अक [अप+ वृत्] पीछे फिरना । ओवाइय देखो ओववाइय। लौटना । अवनत होना। ओवाइय देखो उवयाइय । ओव्वत्त वि [अपवृत्त] पीछे फिरा हुआ। ओवाइय वि [आवपातिक सेवा करनेवाला । नमा हुआ। ओवाडण न [अवपाटन] विदारण । नाश । ओन्वेव्व देखो उन्वेव । ओवाडिय वि [अवपाटित विदारित। ओस देखो ऊस = ऊष । ओवाय सक [उप+याच्] मनौती करना । ओस पुंदे] देखो ओसा। °चारण पुं. हिम ओवाय अवपाती सेवा। भक्तिी गर्न । के अवलम्बन से जानेवाला साधु । गड्ढा । नीचे गिरना। ओसक्क सक [अव + ष्वक्] कम करना । पीछे ओवाय वि [औपाय] उपाय जन्य । उपाय- हटना, अपसरण करना। पलायन करना । सम्बन्धी। उदीरण करना, उत्तेजित करना । नियत काल ओवार सक [अप+वारय] ढकना। से पहले करना। ओवारि न [दे] धान्य भरने का एक प्रकार ओसक्क वि [दे. अवष्वष्कित] अपसृत, पीछे का लम्बा कोठा, गोदाम । हटा हुआ। ओवारिअ वि [दे] राशिकृत । ओसट्ट अक [वि + सृप्] फैलना । ओवास अक [अव+काश्] शोभना । जगह ओसट्ट वि [दे] विकसित, प्रफुल्लित । मिलना। ओसडिअ वि [दे] आकीर्ण, व्याप्त । ओवास पुं [अवकाश] अवकाश, खाली | ओसढ न [औषध] दवा, इलाज। जगह। | ओसढिअ वि [औषधिक] वैद्य, चिकित्सक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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