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________________ ओल्लणी-ओवर संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ओल्लणी स्त्री [दे] मार्जिता, इलायची, दाल- ओवट्ट पुं [अपवर्त्त) ह्रास, हानि । भागाकार। चीनी आदि मसाला से संस्कृत दधि । ओवट्टिअ न [दे] चाटु, खुशामद । ओल्लरण न [दे] स्वाप सोना । ओवट वि [अनवृष्ट] जिसने वृष्टि की हो ओल्लरिअ वि [दे] सुप्त । वह । ओल्लविद (शौ) नीचे देखो। ओवट्ठ पुं [दे. अववर्ष] वृष्टि । ओल्लिअ वि [आदित] आर्द्र किया हुआ । ओवदिइअ वि [औपस्थितिक] उपस्थिति के ओल्ली स्त्री [दे] पनक, काई । योग्य, नौकर । ओल्हव सक [वि +ध्यापय] बुझाना । ठण्ढा ओवड अक [अव -- पत्] गिरना । करना। । ओवडण न [अवपतन अधःपात । झम्पापात । ओव न [दे] हाथी वगैरह को बाँधने के लिए ओवड्ढ वि [उपाध] आधे के करीब । किया हुआ गर्त । __ मोयरिया स्त्री [°वमोदरिका] बारह कवल का हो आहार करना, तप-विशेष । ओवअण न [अवपतन] नीचे गिरना । ओवड्ढि वि [अपवृद्धि] ह्रास । ओवइणी स्त्री [अवपातिनी] विद्या-विशेष, ओवड्ढा स्त्री [दे] ओढ़नी का एक भाग । जिसके प्रभाव से स्वयं नीचे आता है या ओवण न [उपवन] बगीचा, आराम । दूसरे को नीचे उतारता है। ओवणिहिय पुं[औपनिहित, औपनिधिक] आवश्य वि अवपाती नाच आया हुआ। समीपस्थ भिक्षा को लेनेवाला साधु । आ पड़ा हुआ, आ डटा हुआ। न. पतन । ओवणिहिया स्त्री [औपनिधिकी] आनुपूर्वीओवइय पुंस्त्री [दे] तीन इन्द्रियवाला एक विशेष । क्षुद्र जन्तु। ओवत्त सक [अप + वर्तय] उलटा करना । ओवइय वि [औपचयिक] उपचित, परिपुष्ट । फिराना । फेंकना। ओवगारिय वि [औपकारिक] उपकार करने | ओवत्त वि [अपवृत्त] फिराया हुआ। वाला उपकारार्थक । ओवत्थाणिय वि [औपस्थानिक] सभा का ओवग्ग सक [अप+क्रम्] व्याप्त करना । कार्य करनेवाला नोकर । ढकना। ओवग्ग सक [उप + वल्ग्, आ + क्रम्] ओवम देखो ओवम्म। आक्रमण करना । पराभव करना । ओवमिय वि [औपमिक] उपमा-सम्बन्धी । ओवग्गहिय वि [औपग्रहिक] जैन साधुओं ओवमिय । न [औपम्य] उपमा । उपमान, का एक प्रकार का उपकरण, जो कारण-विशेष | ओवम्म प्रमाण । से थोड़े समय के लिए लिया जाता है। ओवय सक [अव + पत्] नीचे उतरना। आ ओवग्गिअ वि [दे. उपवल्गित] अभिभूत । पड़ना। आक्रान्त । ओवयण न [दे. अवपदन] प्रोङ्खणक, चुमना । ओवघाइय वि [औपघातिक] उपघात करने | | ओवयाइयय वि [औपयाचितक] मनौती से वाला, पीड़ा उत्पन्न करनेवाला। प्राप्त किया हुआ। ओवच्च सक [उप +वज्] पास जाना। ओवयारिय वि [औपचारिक] उपचारओवट्ट अक [अप + वृत्] पीछे हटना । कम सम्बन्धी। होना, ह्रास-प्राप्त होना । | ओवर पुं [दे] समूह । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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