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________________ एगंत - एणेज्ज पुं [वादिन्] एक ही आत्मा वगैरह पदार्थ को माननेवाला दर्शन, वेदान्त दर्शन । वीस स्त्रीन [ 'विंशति ] एक्कीस | सण न [शन, सन] एकाशन | हि पुंन [ह] एक दिन । च वि [हत्य ] एक ही प्रहार से नष्ट हो जानेवाला । हिय वि [हिक ] एक दिन का उत्पन्न । पुं. एकान्तर ज्वर । यि वि [धिक] एक से ज्यादा | देखो एअ, एक और एक्क । एगंत देखो एक्कंंत । ° दिट्ठि स्त्री [° दृष्टि ] ज़ैनेतर दर्शन | वि. जैनेतर दर्शन को माननेवाला । स्त्री निश्चित सम्यक्त्व, निश्चल सत्य-श्रद्धा | दूसमा स्त्री ['दुष्षमा ] अवसर्पिणी-काल का छठवाँ और उत्सर्पिणी-काल का पहला आरा । पंडिय पुं [पण्डित ] साधु, संयत । बाल पुं. जैनेतर दर्शन को माननेवाला । असंयत जीव | [वादिन् ] जैनेतर दर्शन का अनुयायी । °वाय पुं [°वाद] जैनेतर दर्शन । स्त्री [सुषमा ] अवसर्पिणी काल का प्रथम और उत्सर्पिणी काल का छठवाँ आरा । एतिय वि [ ऐकान्तिक ] अवश्यम्भावी । अद्वितीय । न. मिथ्यात्व का एक भेद - वस्तु को सर्वथा क्षणिक आदि एक ही दृष्टि से देखना | जैनेवर दर्शन । 'वाइ वि सुसमा गट्टि देखो एग्ग-सट्टि | गट्टिया स्त्री [] नौका | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष एगठाण न [ एकस्थान ] एक प्रकार का तप 1 एगिंदि वि [ एकेन्द्रिय ] केवल स्पर्शेन्द्रिय वाला । Jain Education International १८७ स्त्री [त्रिंशत् ] उनतीस | 'तीसइम वि [त्रिंशत्तम] उनतीसवाँ । 'नउइ देखो उ | नउवि ['नवत ] नवासीवाँ । पन्न, पन्नास स्त्रीन [पञ्चाशत् ] उनचास | पन्नास वि [ 'पञ्चाश] उनपचासवाँ | पन्नासइम वि [ पञ्चाशत्तम ] उनपचासवाँ | 'वीस स्त्रीन ['विंशति] उन्नीस | ans स्त्री [विंशति] उन्नीस । 'वीसइम, वसईम, वीसम वि[विंशतितम] उन्नीसवाँ । सवि [ षष्ट] उनसठवाँ | 'सत्तर वि ['सप्तत] उनसत्तरवाँ । सी, सी स्त्री [शीति] उन्नासी । सीय वि [[शीत ] उन्नासीवाँ | देखो अउण | एगूरुय पुं [ एकोरुक ] इस नाम का एक अन्तर्द्धपि । वि. उसका निवासी । एग्ग (अप) देखो एग । एज पुं. वायु । एजणया स्त्री [ एजना ] कम्प, एज्ज देखो एय = एज् । एज्जण न [आयन ] आगमन । एड सक [ एड् ] त्याग करना । एड सक [एडय् ] दूर करना । एडक्क पुं [एडक] मेष, भेड़ । एडा स्त्री [एडका ] भेड़ी । एण पुं. कृष्ण मृग । कस्तूरी | भूत व [ एकीभूत] मिला हुआ । एगूण देखो अउण । चत्ताल वि [ चत्वा - रिंश ] उनचालीसवाँ । चत्तालीस स्त्रीन [ चत्वारिंशत्] उनचालीस | 'चत्तालीस - इमवि [ चत्वारिंशत्तम ] उनचालीसवाँ । उइ स्त्री [नवति] नवासी । 'तीस | एणेज्ज देखो एणिज्ज । काँपना | णाहि स्त्री [नाभि ] एक पुं [एणाङ्क] चन्द्र । एणिज्ज वि [ एणेय] हरिण सम्बन्धी | एणिजय पुं [ एणेयक ] स्वनाम - ख्यात एक राजा, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी । एणिस पुं. वृक्ष - विशेष । For Private & Personal Use Only | एणी स्त्री [ एणो] हरिणी । यार पुं [चार] हरिणी को चरानेवाला । एणुवासिय पुं [ दे] भेक, मेढ़क www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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