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________________ उव्वट्टण - उब्विज्ज उट्टण न [ उद्वत्तंन] तुले से उसके बीज को अलग करना | उव्वट्टण न [ अपवर्तन ] देखो उव्वट्टणा : अपवर्त्तना । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उव्वट्टणा स्त्री [अपवर्त्तना ] जीव का एक प्रयत्न जिससे कर्मों की दीर्घ स्थिति का ह्रास होता है । उव्वट्टि व [उद्ववर्तित ] साफ किया हुआ । उव्वड्ठ वि [ उद्वृद्ध] वृद्धि प्राप्त । उव्वण वि [ उल्बण] प्रचण्ड, उद्भट । उव्वत्त देखो उव्वट्ट = उद् + वृत् । उव्वत्त देखो उव्वट्ट उवत्त सक [ उद् + वर्तय् ] खड़ा करना । उलटा करना । उवत्त वि[ उद्वर्त्त] खड़ा करनेवाला । उवत्त वि[ उद्वृत्त] उत्तान, चित्त । उल्लसित | जिसने पार्श्व को घुमाया हो वह । ऊर्ध्व स्थित | घुमाया हुआ । उठवत्त वि[ अपवृत्त ] उलटा रहा हुआ, विपरीत स्थित | उव्वत्तण न [ उद्वर्त्तन] पार्श्व का परिवर्तन । ऊँचा रहना, ऊर्ध्व - वर्त्तन । उवत्तिय वि [ उद्वत्तित] परिवर्तित चक्रा कार घुमा हुआ । उव्वद्ध देखो उव्वड्ढ । उव्वम सक [ उद् + वम् ] उलटी करना । उव्वर अक [उद् + वृ] शेष रहना । उव्वर पुं [दे] धर्म, ताप । उवरि वि [] अधिक, बचा हुआ । अनीप्सित । निश्चित | अगणित । न गरमी । वि. अतिक्रान्त | उव्वरिअ न [अपवरिका ] छोटा घर । उव्वल सक [ उद् + वल्] मालिश करना । उपलेपन करना । पीछे लौटना । उव्वल सक [ उद् + वलय् ] उन्मूलन करना । उव्वलणा स्त्री [ उद्बलना] उन्मूलन । उद्बलन Jain Education International योग्य कर्म - प्रकृति | उव्वस वि [ उद्वस] वसति-रहित । उव्वसी स्त्री [ उर्वशी ] एक अप्सरा । रावण की एक स्वनाम - ख्यात पत्नी । उब्वह सक [ उद् + वह ] धारण करना । उठाना । उव्वणन [दे] महान् आवेश । उव्वा स्त्री [दे] धर्म, ताप । उव्वा अक [उद् + वा] सूखना । उव्वाअ उव्वाअ वि [ दे] खिन्न, परिश्रान्त । उव्वाइअ उव्वाउल न [दे] गीत । उपवन । उव्वाडुलन [दे] विपरीत सुरत । मर्यादारहित मैथुन । उवाढ व [] विस्तीर्ण । दुःखरहित । उव्वाण देखो उव्वाअ = उद्वात । उव्वाय देखो उवाय = उपाय | उव्वार (अप) सक [ उद् + वर्तय् ] त्याग करना । उव्वाल सक [कथ्] कहना | १७९ उब्वास सक [ उद् + वासय् ] दूर करना । देशनिकाला करना । उजाड़ करना । वाह पुं [दे] धर्म, ताप । वह [उद्वाह] विवाह | उव्वाह सक [ उद् + बाधय् ] विशेष प्रकार से पीड़ित करना । उव्वाहि वि [दें] उत्क्षिप्त, फेंका हुआ । उब्वाहुल न [ दे] उत्सुकता, उत्कण्ठा । वि. द्वेष्य, अप्रीतिकर । उब्विआइअ वि [ उद्वेदित] उत्पीडित । उव्वक्कन [दे] प्रलपित, प्रलाप । उविग्ग वि [उद्विग्न] खिन्न । भीत | उव्विग्गिर वि [ उद्वेगशील ] वाला । उविज देखो उब्विय । For Private & Personal Use Only उद्वेग करने - www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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