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________________ १६७ उलुग्ग-उल्लिच संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उलुग्ग वि [अवरुग्ण] बीमार । उल्लरय न [दे] कौड़ियों का आभूषण । उलुग्ग वि [दे] देखो ओलुग्ग । उल्लल अक [उत् + लल्] चञ्चल होना । उलुफुटिअ वि [दे] विनिपातित, विनाशित । ऊँचा चलना । उत्पन्न होना । प्रशान्त । उल्ललिअ वि [दे] शिथिल । उलुय देखो उलूअ। उल्लव सक [उत् + लप्] कहना । बकवाद उलुहंत पुं [दे] कौआ । करना, खराब शब्द बोलना। उलुहलिअ वि [दे] अतृप्त। उल्लव सक [उद्+लू] उन्मूलन करना । उलुहुलअ वि [दे] तृप्तिरहित । उल्लविय वि [उल्लपित] कथित, उक्त । न, उलूअ पुं [उलूक] उल्लू, पेचक । वैशेषिक मत उक्ति-वचन। का प्रवर्तक कणाद मुनि । उल्लस अक [उत् + लस्] विकसित होना। उलूखल देखो उऊखल। खुश होना। उलूलु पुं [उलूलु] मङ्गल-ध्वनि । उल्लस देखो उल्लास । उलहल देखो उऊखल । उल्लसिअ वि [दे. उल्लसित] पुलकित, उल्ल सक [आर्द्रय] गीला करना, आर्द्र करना। रोमाञ्चित । अक. आर्द्र होना । गच्छ पुं [°गच्छ] जैन | उल्लाय वि [दे] लात मारना । मुनियों का गण-विशेष । उल्लाय वि [उल्लाप] वक्र-वचन । कथन । उल्ल न [दे] ऋण । उल्लाल सक [उत् + नमय] ऊंचा करना । उल्लअण न [उल्लयन] अर्पण, समर्पण। ऊपर फेंकना। उल्लंक पुं [उल्लङ्क] काष्ठ-मय बारक । उल्लाल सक [ उत् + लालय] ताडन करना, उल्लंघ सक [उत् + ल ] उल्लङ्घन करना । बजाना । उल्लंघण न [उल्लङ्घन] अतिक्रमण,उत्प्लवन । उल्लाल पुन [उल्लाल] छन्द-विशेष । वि. अतिक्रमण करनेवाला । उल्लाव सक [उत् + लप्, लापय्] कहना, उल्लंठ वि [उल्लण्ठ] उद्धत । बोलना । बकवाद करना । बुलवाना । बकउल्लंडग पुं [उल्लण्डक] छोटा मृदङ्ग । वाद कराना। उल्लंडिअ वि दे] बहिष्कृत । उल्लाव पुं [उल्लाप] शब्द, आवाज । उल्लंबण न [उल्लम्बन] उद्बन्धन, फाँसी | उत्तर। बकवाद, विकृत-वचन । उक्ति, लगाकर लटकना। कथन । सम्भाषण । उल्लक्क वि [दे] भग्न । स्तब्ध । उल्लासग वि [उल्लासक] विकसित होने°उल्लट्ट देखो उव्वट्ट =उद्-वृत् । वाला । आनन्दजनक । उल्लट्ट वि [दे] उल्लुण्ठित, खाली किया हुआ। उल्लासण न [उल्लासन] विकास । उल्लण वि [उल्बण] उत्कट । उल्लाह सक [उत् + लाघय] कम करना, उल्लण न [दे] खाद्य वस्तु-विशेष, ओसामन । हीन करना। उल्लणिया स्त्री [आद्रयणिका] जल पोंछने | उल्लिअ वि [दे] उपसर्पित, उपागत । का गमछा, टोपिया । उल्लिअ वि [दे] चीरा हुआ, फाड़ा हुआ। उल्लदिय विदे] भाराकान्त, जिसपर बोझा | उपालब्ध, उलाहना दिया हुआ । लादा गया हो वह । उल्लिच सक [उद् + रिच्] खाली करना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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