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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उम्हाल-उलुंगो निकालना। । उरल देखो उराल। उम्हाल वि [ऊष्मवत् गरम, परितप्त। वाष्प- उरविय वि [दे] आरोपित । खण्डित, छिन्न । युक्त। उरसिज पुं [उरसिज] स्तन । उम्हाविअ न [दे] सुरत, सम्भोग । उरस्स वि [उरस्य] सन्तान। हार्दिक उयचिय वि [दे] देखो उविअ - परिकर्मित । आभ्यन्तर। उयट्ट देखो उव्वट्ट = उद् + वृत् । उद्धृत्त । उराल वि [उदार] प्रबल । मुख्य । सुन्दर, उयत्त अक [अप + वृत्] हटना । श्रेष्ठ । अद्भत । विशाल, विस्तीर्ण। न. उयर वि [उदार] श्रेष्ठ । शरीर-विशेष, मनुष्य और तिर्यञ्च (पशु-पक्षी) उयरिया स्त्री [अपवरिका] छोटा कमरा । इन दोनों का शरीर। उयविय देखो उविअ% (दे)। उराल वि [उदार] स्थूल, मोटा। उयाइय न [उपयाचित] मनौती । उराल वि [दे] भयंकर । उयाय वि [उपयात] उपगत । उरालिय न [औदारिक] शरीर-विशेष । उयारण न [अवतारण] निछावर, उतारा, उरिआ स्त्री [उड्रिका] लिपि-विशेष । हर्षदान । उरितिय न [दे. उरसि-त्रिक] तीन सरवाला उयाहु देखो उदाहु। हार। उय्यकिअ वि [दे] इकट्ठा किया हुआ। °उरिस देखो पुरिस । उय्यल वि [दे] अध्यासित, आरूढ़ । उरु वि [उरु] विशाल, विस्तीर्ण । उर पुंन [उरस्] छाती। °अ, °ग पुंस्त्री | उरुपुल्ल पुं [दे] अपूप, पूआ। खिचड़ी । [ग] सर्प । °तव पुं [तपस्] तप-विशेष । | उरुमल्ल । त्थ न [°ास्त्र] अस्त्र-विशेष, जिसके फेंकने | उरुमिल्ल वि [दे] प्रेरित । से शत्रु सर्पो से वेष्टित होता है। परिसप्प | उरुसोल्ल) पुंस्त्री [[परिसर्प] पेट से चलनेवाला प्राणी । | उरोरुह पुं. स्तन । न. जैन साध्वियों का °सुत्तिया स्त्री [सूत्रिका] मोतियों की हार ।। उपकरण-विशेष । उर न [दे] आरम्भ । °उल देखो कुल। उरनंरेण अ [दे] साक्षात् । उलय } पुन [उलप] तृण-विशेष । उरत्त वि [दे] खण्डित । उलव उरत्थ वि [उरःस्थ] छाती में स्थित । छाती | उलवी स्त्री [उलपी] तृण-विशेष । में पहनने का आभूषण । उलिअ वि [दें] असङ्कुचित नजरवाला। उरत्थय न [दे] वर्म, बख्तर, कवच । उलित्त न [दे] ऊँचा कुआ। उरब्भ पुंस्त्री [उरभ्र] मेष, भेड़ । °उलोण देखो कुलीण। उरब्भिअ वि [औरभ्रिक] भेड़ चरानेवाला। उलुउडिअ वि [दे] प्रलुठित, विरेचित । उरम्भिज्ज । वि [उरभ्रीय] मेष-सम्बन्धी। उलुओसिअ वि [दे] रोमाञ्चित । उरब्भिय , उत्तराध्ययन सूत्र का एक | उलुकसिअ वि [दे] ऊपर देखो। अध्ययन । उलुखंड पुं [दे] उल्मुक, अलात, लूका । उरय पुं [उरज] वनस्पति विशेष । | उलुग पुं[उलूक उल्लू, पेचक। देश-विशेष । उररि पु [दे] पशु, बकरा। | उलुगी स्त्री [औलूकी] विद्या-विशेष । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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