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________________ १३२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष इंदिय-इच्छ रूप में बदले हुए आहार को इन्द्रियों के रूप में | इक्खाउ देखो इक्खागु । परिणत करता है । विजय पुं. देखो °जय। इक्खाग वि [ऐक्ष्वाक] इक्ष्वाकु नामक प्रसिद्ध °विसय पुं[°विषय] देखो °त्थ । क्षत्रियवंश में उत्पन्न । इंदिय न [इन्द्रिय] लिंग, पुरुष-चिह्न । | इक्खाग । पुं. [इक्ष्वाकु] एक प्रसिद्ध क्षत्रिय इंदियाल देखो इंद-जाल। इक्खागु ) राजवंश, भगवान् ऋषभदेव का इंदियाल । देखो इंद-जालि । वंश । उस वंश में उत्पन्न । कोशल देश । इंदियालि । भूमि स्त्री. अयोध्या नगरी। इंदिर पुं [इन्दिर] भ्रमर । इक्खु पुं[इक्षु] ईख । धान्य-विशेष,' बरट्रिका' इंदिरा स्त्री [इन्दिरा] लक्ष्मी। नाम का धान्य । गंडिया स्त्री [°गण्डिका] इंदीवर न [इन्दीवर] कमल । ईख का टुकड़ा। °घर न [°गृह] उद्यानइंदु पुं [इन्दु] चन्द्रमा । विशेष । 'चोयग न [दे] ईख का कुच्चा । इंदुत्तरवडिसग न [इन्द्रोत्तरावतंसक] देव- °डालग न [दे] ईख की शाखा का एक विमान-विशेष । भाग । ईख का छेद । पेसिया स्त्री["पेशिका] इंदुर पुंस्त्री [उन्दुर] चूहा। गण्डेरी । भित्ति स्त्री [दे] ईख का टुकड़ा। इंदोकंत न [इन्दुकान्त] विमान-विशेष । मेरग न ["मेरक] गण्डेरी । लट्ठि स्त्री इंदोव देखो इंद-गोव। [°यष्टि] इक्षु-दण्ड । °वाड पुं [°वाट] ईख इंदोवत्त पुं [दे] इन्द्रगोप, कीट-विशेष । का खेत । °सालग न [दे] ईख की लम्बी इंद्र देखो इंद = इन्द्र । शाखा । ईख की बाहर की छाल । देखो इंध न [चिह्न] निशानी। इंधण न [इन्धन] ईंधन, लकड़ी वगैरन् दाह्य- इग देखो एक्क । वस्तु । अस्त्र-विशेष । उद्दीपन । पलाल, तृण | इगयाल स्त्रीन [एकचत्वारिंशत्] ४१-एकवगैरह, जिससे फल पकाये जाते हैं। °साला चालीस । स्त्री ["शाला] वह घर, जिसमें जलावन रक्खे इगवीसइम वि [एकविंश] एक्कीसवाँ । जाते हैं। इगुचाल वि [ एकचत्वारिंशत् ] चालिस इंधिय वि [इन्धित] उद्दीपित, प्रज्ज्वलित । ! और एक । इक न [दे] प्रवेश। इगुणवीस वि [एकोनविंश] उन्नीसवाँ । इक्क देखो एक्क। इगुणीस । स्त्री [एकोनविंशति] उन्नीस । इक्कड पुं. तृण-विशेष । इगुवीस । इक्कड वि [ऐक्कड] इक्कड़ तृण का बना हुआ ।। इगुसट्ठि स्त्री [एकोनषष्टि] उनसठ । इक्कण वि [दे] चोर। इग्ग वि [दे] डरा हुआ। इक्कार देखो एक्कारह। इग्ग देखो एक्क। इक्किक्क वि [एकैक] प्रत्येक । इग्घिअ वि [दे] तिरस्कृत । इक्किल स्त्रीन [एकचत्वारिंशत्] एकचालीस । इच्चाइ पुन [इत्यादि] प्रभृति । इक्कुस न [दे] नीलोत्पल । इच्चेवं अ [इत्येवम्] इस प्रकार । इक्ख सक [ईक्ष्] देखना। इच्छ सक [इष्] इच्छा करना। इक्खअ वि [ईक्षक] देखनेवाला । इच्छ सक [आप् + स् = ईप्स् प्राप्त करने को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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