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________________ इंद-इंदिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष १३१ जैन आचार्य । °धणु न [ धनुष् ] शक्र-धनु, धणु। उह न [युध] इन्द्रधनु । सूर्य की किरण मेघों पर पड़ने से आकाश में | उहप्पभ पुं [Tयुधप्रभ] वानरद्वीप का एक जो धनुष का आकार दीख पड़ता है वह। राजा । "मअ पुं [°ामय] राजा इन्द्रायुधविद्याधर-वंश के एक राजा का नाम । प्रभ का पुत्र, वानर द्वीप का एक राजा । 'पाडिवया स्त्री [प्रतिपत्] कात्तिक (गुज- इंद पुंन [इन्द्र] एक देवविमान । राती आश्विन) मास के कृष्णपक्ष की पहली इंद वि [ऐन्द्र] इन्द्र-सम्बन्धी । न. संस्कृत का तिथि । 'पुर न. इन्द्र का नगर, अमरावती। एक प्राचीन व्याकरण । नगर-विशेष, राजा इन्द्रदत्त की राजधानी। इंदगाइ पुं [दे] साथ में संलग्न रहनेवाले पुरग न [°पुरक] जैनीय वेशवाटिक गण | कीट-विशेष । के चौथे कुल का नाम । °प्पभ पु [प्रभ] इंदग्गि पुं [दे] बर्फ । राक्षस वंश के एक राजा का नाम, जो लङ्का। इंदग्गिधूम न [दे] हिम । का राजा था। भूइ पु [भूति] भगवान् | इंदड्ढलअ पुं[दे] इन्द्र का उत्थापन । महावीर का प्रथम - मुख्य शिष्य, गौतम- इंदमह वि [दे]कुमारी में उत्पन्न । न. यौवन । स्वामी । “मह पुं. इन्द्र की आराधना के | इंदमहकामुअ पुं [दे. इन्द्रमहकामुक] श्वान । लिए किया जाता एक उत्सव । आश्विन | इंदा स्त्रा [इन्द्रा] एक महानदी । धरणेन्द्र की पूर्णिमा । °मालो स्त्री. राजा आदित्य की एक अग्र-महिषी । पत्नी । मुद्धाभिसित्त पु [°मूर्द्धाभिषिक्त] | इंदा स्त्री [ऐन्द्री] पूर्व-दिशा । पक्ष की सातवी तिथि, सप्तमी। °मेह पु इंदाणी स्त्री [इन्द्राणी] इन्द्र की पत्नी । एक [°मेघ] राक्षस वंश में उत्पन्न एक राजा । राज-पत्नी। य पु[क] देखो इन्द्र। नरक-विशेष । इंदासणि पुं [इन्द्राशनि एक नरक-स्थान । द्वीप-विशेष । न. विमान-विशेष । °याल देखो इंदिदिर पुं [इन्दिन्दिर] भ्रमर । °जाल । 'रह पुं [°रथ] विद्याधर-वंश के इंदिय पुन [इन्द्रिय] आत्मा का चिह्न, ज्ञान एक राजा का नाम । प्राय पु [ राज] के साधन-भूत इन्द्रिय-श्रोत्र, चक्षु, घ्राण, इन्द्र । लट्ठि स्त्री [यष्ठि] इन्द्र-ध्वज । जिह्वा, त्वक् और भन । शरीर के अवयव । °लेहा स्त्री [ लेखा] राजा त्रिकसंयत की "अवाय पुं [°Tपाय] इन्द्रियों द्वारा होनेवाला पत्नी। °वज्जा स्त्री. [ वज्रा] छन्द-विशेष वस्तु का निश्चयात्मक ज्ञान-विशेष । °ओगाका नाम, जिसके एक पाद में ग्यारह अक्षर हणा स्त्री [विग्रहणा] इन्द्रियों द्वारा होते हैं । वसु स्त्री. ब्रह्मराज की एक पत्नी । उत्पन्न होनेवाला ज्ञान-विशेष । 'जय पुं. °वाय पुं [ वात] एक माण्डलिक राजा । इन्द्रियों का निग्रह । तपो-विशेष । 'ट्ठाण न "वारण पुं. इन्द्र का हाथी । °सम्म पुं [°स्थान] इन्द्रियों का उपादान कारण । ["शमंन्] स्वनाम-ख्यात एक ब्राह्मण ।। °णिव्वतणा स्त्री [निर्वर्तना] इन्द्रियों के °सामणिय पुं [°सामानिक] इन्द्र के समान आकार की निष्पत्ति । णाण न [ज्ञान] ऋद्धिवाला देव । “सिरी स्त्री [°श्री] राजा इन्द्रिय-द्वारा उत्पन्न ज्ञान, प्रत्यक्ष ज्ञान । त्थ ब्रह्मदत्त की एक पत्नी। °सुअ ( [°सुत] | पुं [Tथं] इन्द्रिय से जानने योग्य वस्तु, रूपइन्द्र का लड़का, जयन्त । सेणा स्त्री["सेना] | रस-गन्ध वगैरह । पन्नत्ति स्त्री [°पर्याप्ति] इन्द्र का सैन्य । एक महानदी । "हणु देखो । शक्ति विशेष, जिसके द्वारा जीव धातुओं के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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