SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आवाइया-आविहू संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी काष १२३ दृष्टा । उपभोग करना। | आवाहण न [आवाहन] आह्वान । आवाइया स्त्री [आवापिका] प्रधान होम । | आवाहिय वि [आवाहित] बुलाया हुआ, आवाग पु [आपाक] आवा, मिट्टी के पात्र आहुत । मदद के लिए बुलाया हुआ देव या पकाने का स्थान । देवाधिष्ठित वस्तु । आवाड पु [आपात] भीलों की एक जाति । आवि न दे]प्रसव-पोड़ा । वि. नित्य, शाश्वत । आवाणय न [आपाणक] दूकान । आवाय पुन [आपात] अभ्यागम, आगमन । आवि अ [चापि समुच्चय द्योतक अव्यय । आवाय देखो आवाग। आवि अ [आविस्) प्रकटता-सूचक अव्यय । आवाय पुं [आपात] प्रारम्भ । प्रथम मिलन ।। आविअ सक [आ+पा] पीना। तुरन्त । पतन । सम्बन्ध, संयोग । आविअ वि [आवृत्त] आच्छादित । आवाय पुं [आवाप] आवा, मिट्टी के पात्र | आविअ पुंदे] इन्द्र गोप, क्षुद्र कोट-विशेष । पकाने का स्थान। आलवाल । प्रक्षेप, वि. मथित, आलोडित । प्रोत । फेंकना । शत्रु की चिन्ता । बोना, वपन । आविअ वि [आविच] अविच-देशोत्पन्न । आवायण न [आपादन] सम्पादन । आविअज्झा स्त्री [दे] दुलहिन । पराधीन स्त्री। आवाल देखो आलवाल।। आविध सक [आ+ व्यध्] विंधना । पहनना । आवाल ) न [दे] जल के निकट का | मन्त्र से अधीन करना। आवालय । प्रदेश । | आविकम्म पुंन [आविष्कर्मन्] प्रकटरूप से आवाव देखो आवाय = आवाप । कहा स्त्री किया हुआ काम । [कथा] रसोई सम्बन्धी कथा, वि. कथा- आविग वि [आविग्न] उद्विग्न, उदासीन । विशेष । आविट्ठ वि [आविष्ट] आवृत, व्याप्त । प्रविष्ट । आवास पुं. वास-स्थान । निवास, अवस्थान, अधिष्ठित, आश्रित । भूत आदि के उपद्रव से रहना । नीड । पड़ाव । पन्वय पुं [°पवंत आविद्ध वि [आविद्ध] परिहित, पहना हुआ । रहने का पर्वत । आविद्ध वि [दे] क्षिप्त, प्रेरित । आवास । देखो आवस्सय = आवश्यक । आविब्भाव पुं [ आविर्भाव ] उत्पत्ति । आवासगी आवासणिया स्त्री [आवासनिका] आवास प्रादुर्भाव, अभिव्यक्ति । आविब्भूय वि [आविर्भूत] उत्पन्न । प्रादुर्भूत । स्थान । अभिव्यक्त । आवासय न [आवासक] आवश्यक, जरूरी । आविल वि. मलिन, अस्वच्छ । आकुल, व्याप्त । नित्य-कर्तव्य धर्मानुष्ठान । पुं. नीड़ । वि. आविलिअ वि [दे] कुपित, क्रुद्ध ।। संस्काराधायक, बासक । आच्छादक। | आविलुपिअ वि [आकाङ्क्षित] अभिलषित । आवाह सक [आ + वाहय्] सान्निध्य के लिए | आविम आविग सक[आ + विश्]प्रवेश करना,घुसना । देव या देवाधिष्ठित चीज को बुलाना । बुलाना । | आविस अक [आ + विश्] सम्बद्ध होना, युक्त आवाह पुं [आबाध] पीड़ा, बाधा । होना । सक. उपभोग करना, सेवना । आवाह पुं. नव-परिणीता वधू को वर के घर | आविहव अक [आविर् + भू] प्रकट होना । लाना । विवाह के पूर्व किया जाता पान देने उत्पन्न होना । का एक उत्सव । | आविहूअ देखो आविब्भूय । युक्त। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy