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________________ अहिलस-अहिहय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अहिलस सक [अभि + लष्] अभिलाष | अहिवासण न [अधिवासन] संस्काराधान । करना, चाहना। अहिवासि वि [अधिवासिन्] निवासी। अहिलाण न [अभिलान] मुख का बन्धन | अहिवासिअ वि [अधिवासित] सजाया हुआ। विशेष । अहिविण्णा स्त्री दे] कृत-सापत्न्या स्त्री, उपअहिलाव पुं [अभिलाप] शब्द, आवाज । पत्नी । अहिलास पुं [अभिलाष] इच्छा। अहिसंका स्त्री [अभिशङ्का] भ्रम, संदेह । अहिलिअ न [दे] पराभव । गुस्सा । भय, डर। अहिलिह सक [ अभि + लिख ] चिन्ता | अहिसंजमण न [अभिसंयमन] नियन्त्रण । करना । लिखना। अहिसंधारण न [अभिसंधारण] अभिप्राय । अहिलोयण न [अभिलोकन] ऊंचा स्थान । अहिसंधि पुंस्त्री [अभिसंधि] अभिप्राय, अहिलोल वि [अभिलोल] चञ्चल । आशय। अहिलोहिआ स्त्री [अभिलोभिका] लोलुपता, | अहिसंधि पुं [दे] बारम्बार । तृष्णा । अहिसक्कण पुंन [अभिष्वष्कण] संमुख-गमन । अहिल्ल वि [दे] धनवान् । अहिसर सक [अभि + स] प्रवेश करना । अहिल्लिया स्त्री [अहिल्या] एक सती स्त्री। अपने दयित-प्रिय के पास जाना। अहिव [अधिप] ऊपरी, मुखिया। मालिक, | अहिसहण न [अधिसहन सहन करना । स्वामी। राजा। अहिसाअ देखो अक्कम = आ + कम् । अहिवइ वि [अधिपति] ऊपर देखो। अहिसाम वि [अभिशाम] काला, कृष्णवर्ण अहिवंजु देखो अहिमंजु। वाला। अहिवंदिय वि [अभिवन्दित] नमस्कृत । अहिसाय वि [दे] पूर्ण, पूरा। अहिवज्जु देखो अहिमंजु । अहिवड अक [अधि+पत्] क्षीण होना। अहिसारण न [अभिसारण] आनयन । पति अहिवड सक [अधि+ पत्] आना । के लिए संकेत स्थान पर जाना । अहिवड्ढ देखो अभिवड्ढ । अहिसारिअ वि [अभिसारित] आनीत । अहिवढि ) स्त्री [अभिवृद्धि] उत्तर प्रोष्ठ- अहिसारिआ स्त्री [अभिसारिका] नायक को अहिवद्धि ) पदा नक्षत्र का अधिष्ठाता | मिलने के लिए संकेत स्थान पर जानेवाली देवता । स्त्री। अहिवण्ण वि [दे] पीला और लाल रंग वाला। | अहिसिम न [दे] अनिष्ट ग्रह की आशंका से अहिवण्णु देखो अहिमंजु। खेद करना-रोना । वि. अनिष्ट ग्रह से भयभीत। अहिवल्ली स्त्री. नाग-वल्ली। अहिवस सक [अधि + वस्] निवास करना, अहिसिंच देखो अभिसिंच। अहिसित्त देखो अभिसित्त । रहना। अहिवाइय वि [अभिवादित] अभिनन्दित । | अहिसेअ देखो अभिसे। अहिवायण देखो अभिवायण ।। अहिसोढ़ वि [अधिसोढ] सहन किया हुआ। अहिवाल वि [अधिपाल] पालक, रक्षक ।। अहिस्संग पुं [अभिष्वङ्ग] आसक्ति । अहिवास [अधिवास]बासना(गन्ध), संस्कार । | अहिहय वि [अभिहत] आघात-प्राप्त । मारित, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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