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________________ १०० व्यापादित। अहिहर सक [ अभि + हृ] लेना । उठाना | अक . शोभना । प्रतिभास होना, लगना । अहिहर न [ दे] देवकुल, पुराना देवमन्दिर | वल्मीक । अहिसक [ अभि + भू] पराभव करना । अहिहाण न [दे. अभिधान] वर्णन, प्रशंसा । अहिहाण देखो अभिहाण | देखो अवि । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अहिहूअवि [अभिभूत ] परास्त अही सक [अधि + इ] पढ़ना । अही स्त्री. नागिन । अहीकरण न [अधिकरण] कलह, झगड़ा । अहीगार देखो अहिगार । अहीण व [ अधीन ] आयत्त । अहीण व [ अह ] अन्यून, पूर्ण । अहीय देखो अहिय = अधिक | अहीय वि [अधीत ] पठित | अहीरगवि [अहीरक ] तन्तुरहित ( फलादि ) । अहीरु वि [अभीरु ] निडर । अहोलास देखो अहिलास । अहीसर पुं [अधीश्वर ] परमेश्वर । अहुआ [अताशेय] अग्नि के अयोग्य । इस समय, आज अ अ [अधुना ] अभी, कल | अहुणि (i) देखो अहुणा । अल [अ] अनाशक । अहुल्ल वि[अफुल्ल] अविकसित | अहुवंत व [अभवत् ] न होता हुआ । अहूण देखो अहीण = अहीन | । [कर्मन् । अहू व [अभूत] जो न हुआ हो । 'पुव्व वि वि [° पूर्व ] जो पहले कभी न हुआ हो अहे अ [अधस् ] नीचे । कम्म न आधाकर्म, भिक्षा का एक दोष । काय पुं. शरीर का निचला हिस्सा । चर वि. बिल आदि में रहने वाले सर्प वगैरह जन्तु । Jain Education International अहिर- अहो 'तारग पुं ['तारक ] पिशाच - विशेष | ° दिसा स्त्री [° दिक् ] नीचे की दिशा । ° लोग पुं [°लोक] पाताल-लोक | 'वाय पुं [वात] नीचे बहने वाला वायु । अपानवायु, पर्दन । fars वि [विकट] भित्त्यादिरहित स्थान, खुला स्थान | सत्तमा स्त्री [ सप्तमी ] सातवीं या अन्तिम नरकभूमि | देखो अहो अधस् । अहे देखो अह = अथ । अहेउ पुं [अहेतु] सत्य हेतु का विरोधी, हेत्वाभास | वि. कारणरहित, नित्य । 'वाय पुं [वाद] आगमवाद, जिसमें तर्क- हेतु को छोड़कर केवल शास्त्र ही प्रमाण माना जाता हो ऐसा वाद | अम्म पुंन [ अधः कर्मन्] अधोगति में ले जाने वाला कर्म । भिक्षा का आधाकर्म दोष । आहेस णिज्जवि [ यथैषणीय] संस्काररहित, कोरा । अहेसर पुं [अहरीश्वर ] सूर्य | अहो देखो अहं = अधस् | "करण न. कलह | 'गइ स्त्री [° गति] नरक या तिर्यञ्जयोनि । अवनति । गामि [गामिन्] दुर्गति में जानेवाला । 'तरण न झगड़ा । मुह वि [°मुख ] अधोमुख, अवनत मुख, लज्जित । 'लोइ वि[लौकिक ]पाताल लोक से सम्बन्ध रखने वाला | 'हिवि [° अवधि ] नीचे दर्जा का अवधिज्ञान वाला । पुंस्त्री नीचे दर्जा का अवधिज्ञान, अवधिज्ञान का एक भेद । अ अ [ अह ] दिवस में । अहो अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय -- आश्चर्य । शोक । आमन्त्रण, संबोधन | वितर्क | प्रशंसा | असूया, द्वेष । दीनता । दाण न [°दान] आश्चर्य-कारक दान । पुरिसिंगा, पुरिसिया स्त्री [पुरुषिका ] अभिमान । विहार पुं. संयम का आश्चर्यजनक अनुष्ठान । अहो पुंन [ अहम् ] दिवस । णिस, निस, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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