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________________ अहिगार - अहिs अहिगारि अहिगारिय वि [ अधिकारिन् ] अमलदार, राजनियुक्त सत्ताधीश । for a [ अधिकृत्य ] अधिकार करके । अहिघाय पुं [अभिघात ] आस्फालन, आघात । अहिछत्ता स्त्री [अहिच्छत्रा ] नगरी- विशेष, कुरुजंगल देश की प्राचीन राजधानी । अहिजाइ स्त्री [अभिजाति] कुलीनता । हिजाक [अभि + ज्ञा] पहिचानना । हिजा वि [अभिघात ] कुलीन । अहिजुंज देखो अभिजुंज । अत्ति देखो [अभिजुत्त ] । अहिन्न सक [ अधि + इ] पढ़ना, संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अभ्यास हिज्जन [ अध्ययन] पठन, अभ्यास । अहिज्जाण ( शो ) देखो अहिण्णाण | अहिज्जावि वि [ अध्यापित ] पढ़ाया हुआ अहिज्जिय वि [ अधीत ] पठित । अहिज्झिय वि [अभिध्यित ] लोभ-रहित । rega [ अधि + ष्ठा] करना । अहिट्टग व [ अधिष्ठr] अधिष्ठाता, विधायक, कारक । देखो अहिद्वाण | a [ अधि + स्था ] ऊपर चलना । आश्रय लेना । रहना, निवास करना । शासन करना । हराना । आक्रमण करना । ऊपर चढ़ बैठना । वश करना । करना । aforce a [ अभिनि + वस्] रहना ! अहिज्ज वि [ अधिज्य ] धनुष की डोरी पर अहिणिविट्ट वि [अभिनिविष्ट ] आग्रह ग्रस्त । चढ़ाया हुआ (बाण) । अहिणिवेस पुं [अभिनिवेश] आग्रह, हठ । वि [अभिज्ञ ] जानकार, निपुण । अहिणी स्त्री [अहि] नागिन । अहिज्ज अहिज्जग afort देखो अभी । अहिणील वि [अभिनील ] हरा, हरा रंग २३ अहिद्वावण न [ अधिष्ठापन ] ऊपर रखना । ] अध्यासित | अधीन [ अ Jain Education International ९७ किया हुआ । आक्रान्त, आविष्ट । अहिठाण न [ अधिष्ठान] अपान- प्रदेश | अवि [. अभिद्भुत ] पीड़ित । अहिणंद देखो अभिनंद । अहिणय देखो अभिणय । अहिणव पुं [अभिनव ] सेतुबन्ध काव्य का कर्ता राजा प्रवरसेन । वि. नूतन । afar देखो अहिणी । अणिवेमा देखो अहिणु । अहिणाण देखो अहिणाण । अहिणिवोह पुं [अभिनिबोध ] ज्ञान-विशेष, मतिज्ञान | अहिट्ठाण न [ अधिष्ठान ] बैठना । आश्रयण । मालिक बनना । स्थान, आश्रय । अहिट्ठायग वि [ अधिष्ठायक ] अध्यक्ष, अधि- अहिपच्चुअ सक [ ग्रह ] ग्रहण करना । पति । अहिपच्चुअ सक [ आ + गम् ] आना ! अहिपच्चुइअ न [दे] अनुगमन, अनुसरण । अहिपड सक [ अभि + पत्] सामने आना । वाला । अहिणु सक [ अभि + नु] स्तुति करना, प्रशंसना । अहणवि [अभिन्न] भेदरहित, अपृथग्भूत | अहिण्णाण न [अभिज्ञान] चिह्न, निशानी | अहिष्णु वि [ अभिज्ञ] निपुण, ज्ञाता । अहितत्तव [अभितप्त ] तापित, संतापित | अहित्ता देखो अहिज्ज = अधि + इ । अहिदाय वि [अभिदायक ] दाता । अहिदेवया स्त्री [अधिदेवता ] अधिष्ठाता देव । अहिदव सक [अभि + द्रु] हैरान करना । अहि वि [अभिद्रुत ] हैरान किया हुआ । अहिधाव सक [अभि + धाव् ] दौड़ना, सामने दौड़कर जाना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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