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________________ (१२) उम्लेस करना मेरा आवश्यक धर्म है और वे पण्डित, मुनि श्री उत्तमचन्द्रजी स्वामी (लीबड़ी सम्प्रदाय) पंजाब के श्री उपाध्यायजी श्री मात्मारामजी महाराज, प्रवर पारडत पूज्य श्री माधव मुनिजी महाराज और कच्छ पाठकोटि सम्प्रदाय के पण्डित मुनि श्री देवचंद्रजी स्वामी हैं । इन्हीं के अतिरिक्त श्रीयुत पोपटलाल केवलचंद शाह ने भी शब्द-संग्रह के कार्य में यद्यपि भाप किन्तु जो तन मन से सहायता की है उसके लिये मुझे आशा है कि साहित्यानुरागी विद्वान आप सर्व महानुभावों के अवश्य प्राभारी होंगे। यह कार्य अत्यन्त विद्वत्तापूर्ण होने के कारण इस कार्य में योग देने योग्य सजन केवल गिने चुने उपरोक्त मुनिवर हैं । मैं उनका परम उपकार मानता हूं। इन निर्दिष्ट मुनिवरों के सिवाय जैन साधुवर्ग में दो चार महात्मा ऐसे हैं कि जो इस कार्य में विशेष सहायता दे सकते थे, कारण वे अच्छे विद्वान भी हैं किन्तु कई ऐसे अनिवार्य कारण उपस्थित होगये कि जिससे दे साधुजन कोष जैसे महत्वपूर्ण कार्य में योग न देसके। यदि उन महात्माओं द्वारा इस कोष के कार्य में सहायता मिलती तो यह कोष और भी सुन्दर होजाता किन्तु “कर्मणो गहना गतिः" इस अटूट सिद्धान्त के अनुसार हमें उनकी मौलिक विद्वत्तापूर्ण सहायता से वञ्चित ही रहना पड़ा। ___मूल शब्दों के गुजराती भर्थ का हिन्दी अनुवाद करवाने में बड़ी भारी बाधा उत्पन्न हुई। वैसे ही अंग्रेजी अनुवाद के लिये अंग्रेजी जानने वाले विद्वानों की खोज की गई परन्तु जितने विद्वान मिले सब अजैन या दिगम्बर जैन मिलने के कारण उनसे अनुवाद करवाने पर कई जगह त्रुटियां पाई गई, जिसका कारण इन सज्जनों का साधुनों के प्राचार से तथा अन्य पारिभाषिक शब्दों से अनभिज्ञ होना ही है। पारिभाषिक शब्दों का अनुवाद यथावत् न कर सके, इतना ही नहीं, किन्तु कई स्थानों में अर्थ के अनर्थ कर डाले, जिन्हें सुधारने में बहुत ही परिश्रम उठाना पड़ा। इन अनर्थों के कुछ नमूने नीचे उदरत किये जाते हैं जिससे विज्ञ सजनों को यह ज्ञात होजायगा कि साम्प्रदायिक पारिभाषिक शब्दों का भाव अन्य भाषा के अनुवाद में लाना विशषतः जैन धर्म के रहस्य से अपरिचित विद्वानों के लिये कितना कठिन है। मूल शब्द। गुजराती अनुवाद। हिन्दी या अंग्रेजी अशुद्ध अनुवाद। हिन्दी या अंग्रेजी शुद्ध अनुवाद। १ अजाया. नि. साधुने नाखी देवानी चीज यत्ना-सहित परठववी ते. साधकी फैंकदेने योग्य चीज को यत्ना पूर्वक संभाल कर रखना. साधु के तजने योग्य वस्तु को यत्नाचार पूर्वक त्यागना. २ प्रणाउत्त.नि. उपयोग रहित; उपयोग विनानो; असावचेत. बिना उपयोग का; निरुपयोगी. Useless. उपयोग रहित; प्रसावधान. Unwary; without proper circumspection. भणाउत्तगमण.न. उपयोग विना चाल Un-necessary movement. यूँ ते. Movement without proper circumspection Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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