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________________ लोक ४७४ ५. द्वीप पर्वतोके नाम रस आदि ... सौमनसवनमे । नन्दनवनमे । सौमनसबनमें नन्दनवनमे | ३. विदेह क्षेत्रकी १२ विभंगा नदियोंके नाम ति प. रा. वा. ति. प. | रा.वा. (ति. प/४/२२१५-२२१६), (रा वा /३/१०/१३/१७५/३३+ १७७/७, १३ नलिना (पद्मा) नलिना (पद्मा) १५ कुमुदा १७,२५). (ह पु./५/२३६-२४३), (त्रि सा/६६६-६६६), (ज.५/ कुमुदा १४ नलिनगुल्मा | नलिनगुल्मा १६ | कुमुद्रप्रभा कुमुद्रप्रभा ८-हवाँ अधिकार)। (पद्मगुन्मा) । (पद्मगुल्मा) | नदियोके नाम अवस्थान नोट-ह.पु., त्रि. सा.व ज प. में नन्दनबनकी अपेक्षा ति.प. वाले ति प, रा वा त्रि साज. प. ही नाम दिये है। द्रवती ग्राहवती गाध- ग्रहवती उत्तरीपूर्व विदेह | वती में पश्चिमसे २ ग्राहवती हृदया- दहवती द्रहवती ३. देव व उत्तरकुरुमे पूर्व की ओर | वती ३) पक्वती पंकावती पकवती पकवती (ति. प./४/२०६१,२१२६ ): (रा. वा /३/१०/१३/१७४/२६ + १७५/५,६, (दक्षिणी पूर्व १ तप्तजला तप्तजला तप्तजला तप्तजला है, २८), (ह. पु/५/१६४-१६६); (त्रि. सा./६५७), (ज. प./4/ विदेहमे पूर्वसे मत्तजला मत्त जला मत्तजला मत्तजला २८,८३)। (पश्चिमकी ओर उन्मत्त जला उन्मत्तज-उन्मत्तज.उन्मत्तज. देव कुरुमें क्षीरोदा क्षीरोदा क्षीरोदा । उत्तरकुरुमे । देवकुरुमे (दक्षिणी अपर उत्तरकुरुम क्षीरोदा विदेहम पूर्वसे २ सीतोदा 'सं. दक्षिणसे उत्तर- | उत्तरसे दक्षिण- सं. | दक्षिणसे उत्तर-| उत्तरसे सीतोदा सीतोदा सीतोदा की ओर | की ओर की ओर | दक्षिणकी पश्चिमकी ओर ३ औषध वाहिनी से तान्तर सोतो- सोतो वाहिनी वाहिनी वाहिनी ओर उत्तरी अपर १ गंभीरमालिनी गंभीरमा.गंभीरमा.गंभीरमा निषध सुलस र विदेहमे पश्चिम-२ फेनमालिनी फेनमा. फेनमा | फेनमा. दैवकुर उत्तर कुरु विद्युत् | माल्यवान् || से पूर्व की ओर ३ ऊर्मिमालिनी ऊमिमा, उर्मिमा उर्मिमा चन्द्र (तडित्प्रभ) नील ऐरावत .. महाद्रहों के कूटोंके नाम १ पद्मद्रहके तट पर ईशान आदि चार विदिशाओमे वैश्रवण, श्रीनिचय, क्षुद्राहिमवान् व ऐरावत ये तथा उत्तर दिशामे श्रीसंचय ये पॉच कूट है। उसके जलमे उत्तर आदि आठ दिशाओमे जिनकूट, श्रीनिचय, वैडूर्य, अकमय, आश्चर्य, रुचक, शिखरी व उत्पल ये आठ कूट है। (शि. ५/४/१६६०-१६६५) । २ महापद्म आदि द्रहो के कूटोके नाम भी इसी प्रकार हैं। विशेषता यह है कि हिमवान्के स्थानपर अपने-अपने पर्वतोके नामवाले कूट है । (ति. प/४/१७३०-१७३४,१७६५-१७६६)। ९. लवणसागरके पर्वत पाताल व तनिवासी देवोंके नाम (ति.प./४/२४१०+२४६०-२४६६); (ह. पु/५/४४३,४६०); (त्रि. सा./१+१०५-१०७); (ज. प./१०/६+६०-३३)। ओर ८. जम्बूद्वीपकी नदियोंके नाम १. भरनादि महाक्षेत्रोंमें क्रमसे गंगा-सिन्धु, रोहित-रोहितास्या, हरित हरिकान्ता; सीता-सीतोदा, नारी-नरकान्ता, सूवर्ण कूला-रूप्यकूला, रक्ता-रक्तोदा ये १४ नदियाँ है । (दे० लोक/३/१.७ व लोक/३/११) । | सागरके अभ्यन्तर | मध्यवर्ती | सागरके बाह्यभागकी दिशा _भागकी ओर पातालका | पर्वत देव नाम पर्वत । देव पूर्व कौस्तुभ कौस्तुभ पाताल कौस्तुभावास कौस्तुभावास | दक्षिण | उदक | शिव कदम्ब उदकावास शिवदेव पश्चिम शंख उदकावास -बडवामुख ] महाशंख उदक उत्तर दक । लोहित | युपकेशरी | दकवास लोहितांक (रोहित) नोट-त्रि. सा. में पूर्वादि दिशाओमें क्रमसे बडवामुख, कदमक, पाताल व यूपकेशरी नामक पाताल बताये है। २. विदेहके ३२ क्षेत्रोंमें गंगा-सिन्धु नामकी १६ और रक्ता-रक्तोदा नामकी १६ नदियाँ है। (दे० लोक/२/११)। जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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