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________________ सूचीपत्र नय नैगमनय निर्देश नैगमनय अर्थनय व ज्ञाननय है। -दे० नयIII/१ । नैगमनय अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय है। शुद्ध व अशुद्ध सभी नय नैगमनयके पेटमें समा जाती | अन्य पक्षका संग्रह करनेपर वह नय सम्यक है। सर्व एकान्त मत किसी न किसी नयमें गर्भित हैं। और सर्व नय अनेकान्तके गर्भ समाविष्ट है। -दे० अनेकान्त/२॥ ६ | जो नय सर्वथाके कारण मिथ्या है वही कथंचित्के कारण सम्यक् है। सापेक्षनय सम्यक् और निरपेक्षनय मिथ्या है। नयोंके विरोधमें अविरोध। -दे. अनेकान्त/५ । नयोंमें परस्पर विधि निषेध । -दे० सप्तभंगी/५। सापेक्षता व मुख्यगौण व्यवस्था। -दे० स्याद्वाद/३ । मिथ्यानय निर्देशका कारण व प्रयोजन। सम्यग्दृष्टिकी नय सम्यक् तथा मिथ्यादृष्टिकी मिथ्या है। प्रमाणशान होनेके पश्चात् ही नय प्रवृत्ति सम्यक् होती है, उसके बिना नहीं। नैगम तथा संग्रह व व्यवहारनयमे अन्तर । नैगमनय व प्रमाणमें अन्तर। इसमें यथा सम्भव निक्षेपोका अन्तर्भाव-दे० निक्षेप/३ । ५ | भावी नैगमनय निश्चित अर्थमें लागू होता है। | कल्पनामात्र होते हुए भी भावी नैगमनय व्यर्थ नहीं है। संग्रहनय निर्देश संग्रहनयका लक्षण। संग्रहनयके उदाहरण। संग्रहनय अर्थनय है।-दे० नय/III/११ इसमें यथासम्भव निक्षेपोंका अन्तर्भाव । -दे० निक्षेप/३। संग्रहनयके भेद । | पर, अपर तथा सामान्य विशेषरूप मेदोंके रक्षण व उदाहरण। इस नयके विषयकी अद्वैतता। -दे० नय/IV/२/३ । दर्शनोपयोग व संग्रहनयमें अन्तर ।-दे० दर्शन/२/१० । संग्रहाभासके लक्षण व उदाहरण! वेदान्ती व सांख्यमती संग्रहनयाभासी है। -दे० अनेकान्त/RVED | संग्रहनय शुद्ध द्रव्यार्थिकनय है। व्यवहारनय निर्देश-दे० नय/V/४ | नैगम आदि सात नय निर्देश सातों नयोंका समुदित सामान्य निर्देश नयके सात भेदोका नाम निर्देश। -दे०नय/I/१/३ । सातोंमें द्रव्यार्थिक व पर्यायार्थिक विभाग । इनमें द्रव्याथिक पर्यायाथिक विभागका कारण । सातोंमें अर्थ, शब्द' व ज्ञान नय विभाग। इनमें अर्थ, शब्दनय विभागका कारण । नौ मेद कहना भी विरुद्ध नहीं है। पूर्व पूर्वका नय अगले अगले नयका कारण है। सातोंमें उत्तरोत्तर सूक्ष्मता। सातोंकी उत्तरोत्तर सूक्ष्मताका उदाहरण । शब्दादि तीन नयोंमें परस्पर अन्तर । नैगमनयके भेद व लक्षण नेगम सामान्यका लक्षण---- (१. संकल्पग्राही तथा द्वैतग्राही) संकल्पग्राही लक्षण विषयक उदाहरण । द्वैतग्राही लक्षण विषयक उदाहरण । नैगमनयके भेद । भूत भावी व वर्तमान नैगमनयके लक्षण । भूत भावी वर्तमान नैगमनयके उदाहरण । पर्याय द्रव्य व उभयरूप नैगमसामान्यका लक्षण । द्रव्य व पर्याय आदि नैगमनयके भेदोंके लक्षण व उदाहरण१. अर्थ व्यंजन व तदुभय पर्यायनैगम । २. शुद्ध व अशुद्ध द्रव्य नैगम । ३. शुद्ध व अशुद्ध द्रव्यपर्यायनै गम । नेगमाभास सामान्यका लक्षण व उदाहरण । न्याय वैशेषिक नैगमाभासी हैं।-दे० अनेकान्त/२/६ । १० । नगमाभास विशेषोंके लक्षण व उदाहरण। | ऋजुसूत्रनय निर्देश ऋजुसत्र नयका लक्षण। ऋजुसूत्रनयके भेद। सूक्ष्म व स्थूल ऋजुसूत्रके लक्षण। इस नयके विषयकी एकत्वता। -दे० नय/IV/३ । जुसूत्राभासका लक्षण । | बौद्धमत ऋजुसूत्रामासी है। -दे० अनेकान्त/२/६ | ऋजुसूत्रनय अर्थनय है। दे० नय/III/RI ऋजुसूत्रनय शुद्धपर्यायार्थिक है। इसे कथंचित् द्रव्यार्थिक कहनेका विधि निषेध । सूक्ष्म व स्थूल ऋजुसूत्रकी अपेक्षा वर्तमानकालका प्रमाण । व्यवहारनय व ऋजुसूत्रमें अन्तर ।-दे० नय/V/४/३॥ * इसमें यथासम्भव निक्षेपोंका अन्तर्भाव। -दे. निक्षेप/३। - - -- - -- जैनेन्द्र सिवान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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