SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 402
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उदय २८७ ६. कर्म प्रकृतियोकी उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएँ . 1611 उदय उदय नं. | प्रकृति । विशेषता | स्थिति अनुभाग प्रदेश नं. | प्रकृति विशेष का | नरक गतिमें है|१समय द्वि. , अज, | ३८ | स्थिर चारो गतियों में है १ समय| चतु. | अज. नियमसे मनु. अन्यतम तियं में भाज्य। ३६ | अस्थिर शेष चार मनु, तिर्य में .. . .. ४० यश कीर्ति सुभगवद (देखो.., । अन्यतम नं २६) संहनन ४१ | अयश कीर्ति दुर्भगवत (देखो .. " नं. २७) वज्र वृषभ नाराच मनु, तिर्य में | है |१ समय चतु. तीर्थकर अन्यतम ७ गोत्र द्वि.. | शेष पाँच उच्च | देवोमें नियमसे है १ समय चतु. १०-१३ स्पर्श, रस, गन्ध वर्ण: मनु में भाज्य प्रशस्त नरक तिर्य में चारों गतियों में है | १ समय चतु, अज. | २ नीच नियमसे मनु. अप्रशस्त में भाज्य आनुपूर्वी चतु. ८ अन्तरायअगुरुलघु चारों गतियोमें है|१समय चतु. चारों गतियोमें है . द्वि, उपधात परघात आतप ५. मूलोत्तर प्रकृति सामान्यकी उदय स्थान प्ररूपणा उद्योत | तिर्य गतिमें है १ समय भाज्य १. मूल प्रकृतिस्थान प्ररूपणा उच्छ्वास चारो गतियोमें. " देखो अगला उत्तर शीर्षक सं.२ विहायोगतिः __'मूलप्रकृति ओघ प्ररूपणा' प्रशस्त ! देवगतिमे नियम है|१समय चतु अज.. से मनु. तिथं | क्रम , नाम प्रकृति कल प्रति प्रति स्थान स्थान स्थान विशेष विवरण में भाज्य प्रकृति भग अप्रशस्त नरकगति में नियमसे मनु | ज्ञानावरण | १ |५ । १ । पाँचोका सर्वदा उदय रहता है तिर्य में भाज्य | २ दर्शनाबरण | २ | ४ १ । चक्षु अचश्व, अवधि व केवल प्रत्येक चारो गतियोमे, है १समय चतु. अज चारीका उदय साधारण अन्यतम पाँच निद्रा सहित प्रस उपरोक्त४ । है | १ समय चतु.। अज, स्थावर इस प्रकार पाँच प्रकृति सहित ५भग है सुभग देवगतिमें नियम है १समय चतु. अज. | ३ वेदनीय १ | १ २ दोनो वेदनीयमें से अभ्यतम से मनु, तिर्य में १ का उदय होनेसे १ प्रकृतिके दो भंग है नरकगति में , | ४ | मोहनीय देखो आगे नं. ६ वाली पृथक नियमसे मनु. प्ररूपणातियं में भाज्य ५ | आयु १-४ गुणस्थानमें अन्यतम आयु २८ । सुस्वर सुभगवत से ४ भंग दुस्वर दुर्भगवत ५ गुणस्थानमें मनु. तिर्य, आयु आदेय सुभगवत से २ भग अनादेय ६-१४ गुणस्थानमें मनु. आयुसे शुभ चारों गतियोंमें १भग अन्यतम दे, आगे नं ७ पृथक प्ररूपणा ६ नाम अशुभ १-५ गुणस्थानमें अन्यतमके बादर ७ | गोत्र चारों गतियोमें ... उदयसे २ भंग ३५ ।सूक्ष्म महा ३६ । पर्याप्त चारोगतियों में है १ समय चतु.. ६१४ गुणस्थानमें केवल उच्च का१भग ३७ । अपर्याप्त - ८ अन्तराय ।१५१ । पाँचो का निरन्तर उदय ट भाज्य भग दुभगवत जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy