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________________ उदय मार्गणा क्यून्न प्रकृतियों १४ आहारक मार्गणा (गो, क जी प्र २३२/४८३/२) उदय योग्यचार आनुपूर्वी के बिना सर्व आहारक अनाहारक नं. १-५ १-३ ४ ५ ६-६ गुण स्थान १ A १ २-३ ३ ४ ५-१३ १ आतप सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, मिष्या १-४ इन्द्रिय, स्थावर, अनन्ता चतु ११.२,३ २ स्थान निद्रा १३ संकेत -- चतु, गुड, खण्ड, शर्करा, [अमृत रूप चतुर द्वि. निम्ब व काजीर रूप द्वि स्थानीय अ अजघन्य प्रदेशोदय । (ध. ६/१, ६-८, ४/२०७-२१३) विशेषता १४ প্রকৃতি ११ ज्ञानावरणी पाँचों २ दर्शनावरण R त्रिक + ४. सातिशय मिध्यादृष्टिमें मूलोत्तर प्रकृतियोंके चार प्रकार उदयकी प्ररूपणा प्रचला शेष चारों ३ वेदनीय साता असाता ४ मोहनीय | (१) दर्शन मोह मिथ्यात्व सम्य मिश्र, (२) चारित्र मोह Jain Education International 1 १-१६ १६ कषाय १७-११ ३ मेद २०-२१ हास्य रति २२-२३ | अरति-शोक } २४-२५ मिश्र मोह आन, चतु के बिना मृलोघवत् उदय योग्य - निर्माण काय योगवत् कार्माण काय योगवत् 1 नेपाली १५ = (समुद्रात केवलीको) अन्यतम वेदनी, निर्माण, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, तेजस, कार्माण, वर्ण, रस, गन्ध, स्पर्श अगुरुलघु १३ अन्यतम दोनों युगलों में अन्यतम युगल भय-दुगुप्सा है या नहीं भो है १ समय द्वि नही निद्रा व प्रचलामें है १ समय द्वि अन्यतम है नही The he " -ह १ =१३ " दोनो में अन्यतम है ।१ समय चतु. ॐॐ - " 59 उदय स्थिति 'अनुभाग | प्रदेश " १ समय द्वि 91 11 मीय अनुभाग, राग, अज १ समय द्वि. ३८६ अनुदय दह १२२-४११० तीर्थ, आद्वि.. मिश्र, स अज. अज, :: अज. अज www अज, नं. १ २ ३ ४ १ 20 6 us 9 v ५ ७ ६. कर्म प्रकृतियों की उदय व उपयस्थान प्रणा ८ 1 पुन उद्रय मिश्र मोह - १ सम्य -१ मूलोधवत सम्य, नरक तीर्थंकर मूलो प्रकृति ५ आयु- नरक तियंच मनुष्य देव ६ नाम गतिः नरक - तियंच मनुष्य- देव onfer १-४ इन्द्रम मेडिय शरीर औदारिक वैकियक आहारक सेजस कामग अंगोपाग निर्माण बन्धन संघात संस्थान- समचतुरख जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only उदय योग्य ११८ १०८ ६६ ६६ -- १ २४ ७१ अनुदय विशेषता 19 1 पुन' उदय मनुष्य व तियंच गति में देव व नरक गतिमें प्रकति 2: १ two: नही चारो में अन्यतम है १ समय द्वि नहीं चारों गतियों में है ... 11 उदय Ex स्थिति | अनुभाग | प्रदेश " S कुल व्युउदय | च्छित्ति 33 ११३ १०८ ... . १०० १०० ११ समय द्वि. 11 ७५ २५ = 100 = चतु स्व स्व स्व स्व ६ है ११ समय । चतु. नहीं चारो गतियों में है १ समय चतु. +1 स्वस्थ शरीरये चारो गतियों में है १ समय चतु ५ ६ १ १३ १ समय चतु अज देवगति में नियम है १ समय चतु. से मनु तिर्य गतिमें भाज्य १३ अज, " अज 11 : अज. ... अज. 31 अज. शरीर वत्शरीर अज www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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