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________________ नापासला...... Jain Education International मार्गणा मार्गणा नाना जीवापेक्षया अपेक्षा प्रमाण गुण प्रमाण जघन्य स्थान १३ एक जीवापेक्षया प्रमाण उत्कृष्ट उत्कृष्ट प्रमाण १२ जघन्य अपेक्षा अपेक्षा ४. देवगतिःदेवसामान्य निरन्तर असं.पु. परि. तियंचों में भ्रमण देवसे गर्भज मनु. या ति. पुनः देव भवनत्रिक सौधर्म ईशान सानत्कुमार माहेन्द्र ब्रह्म-कापिष्ठ शुक्र-सहस्रार आनत-अच्युत नव बेयक नव अनुदिश मुहूर्त पृथक्त्व इस स्वर्ग में मनु.या ति. की आयु इससे कम नहीं बन्धती दिवस पृथक्त्व २२ पक्ष पृथक्त्व २५ मास पृथक्त्व २८ वर्ष पृथक्त्व ३२२+ सा.+२पू. को.] वहाँसे चय पूर्व कोटि वाला मनु. हो, वहाँसे सौधर्म ईशानमें जा; २ सा, | पश्चात पुनः पूर्व कोटिवाला मनु. हो संयम धार मरे और विवक्षित देव होय . For Private & Personal Use Only सर्वार्थसिद्धि १४॥ वहाँसे आकर नियमसे मोक्ष ओघवत् देव सामान्य अन्तर्मुहूर्त ८६ ___ _A A L___.. |१समय ओघवत | पल्य/अस' पत्य/असं. अन्तर्मुहूर्त ३४ वहाँ से आकर नियम से मोक्ष | ३१ सा.-४ अंतर्मू. द्रव्य लिंगी उपशम नैवेयकमें जा सभ्य, ग्रहणकर भवके अन्तमें मिथ्यात्व " -५ अंतर्मु. .. -३ समय , परन्तु सासादन सहित उत्पत्ति " -६ अंतर्मु. उपरोक्त जीव नव अवेयकमें नवीन | सम्य. को प्राप्त हुआ स्व आयु-४ अंतमु. मि, सहित उत्पत्ति, सभ्य, प्राप्ति, | अन्तमें च्युति , -५ अंतर्मु. देव सा. बत् नोटः-३१ सागरके स्थानपर स्व आयु लिखना। भवनत्रिक व सौधर्म-सहस्रार निरन्तर देव सावत ६४ देव सा.बत्६४ देव सा. वत् देव सा.बत देव सा. वत आनत-उप. अवेयक हव Sl अनुदिश-सर्वार्थसिद्धि . www.jainelibrary.org निरन्तर वहाँसे आकर नियमसे मोक्ष |६६ ६६] वहाँसे आकर नियम से मोक्ष
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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