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________________ ३८३ पत्रम् सुबुदि नाम किम् ? पत्रम् सित्तुंजय [पर्वतः] . १५५ *सिद्ध [निग्रन्थ-स्थविरः] १६८ सिद्ध [नमित्तिकः] सिद्धउत्त [लेखाचार्यः] १९७ सिद्धत्थ [राजा] ९६,२३३,३२३ , [सारथिः] ३१४,३२१ सिद्धनाग [श्रेष्ठी, टीकाप्रशस्तौ ] ३७० सिद्धपुत्त [नमित्तिकः] सिद्धसेण [ब्राह्मणो निग्रन्थ-स्थविरश्च] १७१-७२ सिद्धसेनदिवाकर , १६८,१७१-७२ सिद्धार्थ [राजा] , [वणिक्] ३५२ सिप्पनई-सरी। [नदी] ४,५,२०१ सिप्पा सियजस [राजा] १४० सिरिउर [नगरम् ] २४,१५४ सिरिकंठ [देशः] १५६ सिरिकंठ ।[देवः] २६१ ७. " विशेषनाम्नामकारादिक्रमः नाम किम् ! पत्रम् सिहल+दीव [द्वीपः] ६३,२८७-८८ *सीया [राज्ञी] सीया-ता , ४६,५७,५८,६०, - ६१,३२५-२६ सीमंधर+सामि [ तीर्थकरः] ७६,७९,३७० सीयल ३२३ सीलमई [राजपुत्री] २९४-९५, २९७-३००,३०२-३ सीह [सुभटः] सीहक [कर्षकः] सीहगिरि [राजा] सीहबल १६९ सीहरह [सेनानीः] ८५,८६,८९ [राजपुत्रः] २५८ सीहविक्कम , सुकुमारिका-'लिका [राज्ञी] १८४,१८६-८७ सुकुमालिया १८६-८७ १८४ सुकुमालिया [विद्याधरपुत्री] २११ [श्रेष्ठिपुत्री] - ४४,४५ सुक [देवलोकः] सुग्रीव [वानरवंशीयः] ५८,६१ १३३-३४, सुजसा [राज्ञी] २४६ सुज्जहास [खड्गः] ३२५ सुतारा [राज्ञी] सुस्थिय [निग्रन्थ-आचार्यः] १००,२२६ सुदर्शन [श्रेष्ठी] ४६.६५,१३०, १४०,१४६ *सुदसण १३. सुदंसण १४१-४६ [श्रेष्ठिपुत्रः] , [श्रेष्ठी] १९१ [नगरम्] २७८,२८१ ममणा सुदंसणा [राज्ञी] २८५ सुद्धड [ब्राह्मणः] ४१,४३ निग्घिणसम्म । सुधण [श्रेष्ठिपुत्रः] २४,२५,३० सुधणु [श्रेष्ठी]. २२ सुधम्म-हम्म [निग्रन्थ-गणधरः]:९७,२६९ नाम किम् ? सुनंदा [श्रेष्ठिपुत्री, राज्ञी] ११-१३, २०,९९,१९,२२९ सुन्दर [कर्षक:] ३४९ सुपाससामि [ तीर्थकरः] ३२३ सुप्पणहा [राक्षसवंशीया] ३२५ सुप्रभा [निर्गन्धिनी] [अमात्यः] २८५,२८८ सुभग [दासः] १४०-११ *सुभद्दा [श्रेष्ठिपस्नी] सुभद्दा २१०,२१७ [राज्ञी] [प्ररिवाजिका] २१६ सुभद्रा [श्रेष्ठिपत्नी] १६,६५,६७ सुमइ [अमात्यः] १९३,३०५ [तीर्थकरः] ३२३ सुमंगल [राजपुत्रः] ३३१-३२ सुमिण [यक्षः] सुमुह [दासः] सुमेरुप्पह [हस्ती] २३६ सुरट्ठ [देशः] २२५,२६१ सुरपिय [यक्षः] १९५ सुरपिय । चित्तपिय । सुरवरतरंगिणी [नदी-गङ्गा] १.८ सुरिद [श्रेष्ठी] १९३-९४ *सुलसा [रथिकपस्नी] ३२४ 111111111 112 : 34. . . 11111111 11 ८२ सुलसा सिरिचंद [राजपुत्रः] १५६,१५९ सिरिदेवी [देवी] [श्रेष्टिपुत्री] १५२-५३ [राज्ञी] ३३६ सिरिधम्म [राजपुत्रः] १५२-५३ [राजा] सिरिपब्धय [पर्वतः] १०६,२९१ सिरिमई [श्रेष्ठिपुत्री] १०१ सिरिमंगल [देशः] सिलागाम [प्रामः] सिव [वणिक्पुत्रः] २२५ सिवएवी-देवी [राज्ञी] ७१,३१३,३५४ सिवादेवी सिवचंदा [विद्याधरपत्नी] सिवभद्द [वणिक्पुत्रः] २२५ सिवमंदिर [नगरम्] २११ सिवा+देवी [राज्ञी] १५,१६ सिसुपाल [राजा] सिंधु+देवी [देवी] ८२,३३९ सिंहकेसरअ-य [ मोदकः] २३,२६८ सिंहजस [राजपुत्रः] . ૧૮૮ [परिवाजिका] २१६,२५१ , [श्रृष्टिपत्नी] सुवमजालेसर [ देवः] [तीर्थकरः] ३२३ सुवेग [सुभटः] [दूतः] सुन्वअ-य [निग्रन्थ-आचार्यः] १६९ सुब्बया [निग्रन्थिनी] २१८,२८२ सुसीमा [नगरी] १८५ सुसेण [सेनानीः] ८५-८७ सुसेणा [राजपुत्री] सुहत्थल [प्रामः] १५३ २१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016006
Book TitleAkhyanakmanikosha
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages504
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary & Story
File Size13 MB
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