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________________ माम पत्रम् २१४ ३६७ वेभार ३२. बेय संपइ २२० " " १६८,१७५ समित संभूय ३८२ प्रथमं परिशिष्टम् किम् ? नाम किम् ? पत्रम् वेगवई [नदी] सञ्चभामा [राज्ञी] ७२,७४-७६,७९, वैजयंत [देवः] ८०,३११,३१३ वेना [नदी] १७४ सच्चवाई [यक्षः] १९. [पर्वतः] ८१,१२७,१२९, सञ्चसिरी [कुटुम्बिपरनी] २०९-१० सणंकुमार [चक्रवर्ती ] २२१३६३,३६६ [ब्राह्मणपुत्रः] ३४५ बेयगन्भ - ३४५ सनत्कुमार ३५१,३६२,३६७ वेयड्ढ़ [पर्वतः] ७४,७७,७८ सप्तच्छद [राजा] १३२ २११,२३६ सबल [बलीवर्दः] १७८,१८२ वेयन्म [नगरम्] ५१,५३,५५,५६ * ,, १७८ वेयमित्त [ब्राह्मणपुत्रः] ३४५ समरकेउ [राजपुत्रः] ३२४ वेयरूव ३४५ समंतभद्द [निग्रन्थ-आचार्यः] २१८ वेयसाम , [, मुनिः ] ३.१ वेबसार ३४५ समाहिगुत्त , , वेसमण [श्रेष्ठी] २०१ *समिय [, स्थविरः] १६८ वेसाली [नगरी] २७३ समियज। वैर + स्वामी [निग्रन्थ-स्थविरः] १६८, १७०-७१ समुद्दविजय [राजा] ७०,७१,३११-१३ व्याख्याप्रशप्ति [जैनागमः, समुद्रदत्त [श्रेष्ठी] १३०,१४९,१५१, टीकाप्रशस्तौ] ३७० २८५ सम्प्रति . [राजा] १२३,१२५ शङ्ग [राजा] ३२६,३३४,३४३ ।। सम्भूत [मातापुत्रो, शतानिक निग्रन्थ-मुनिः] २१९,२२१ शम्बकुमार ।[राक्षसवंशीयः] ५७,५८ सम्मेयसेल [पर्वतः] सम्बकुमार , सयडाल [अमात्यः] शय्यम्भव [ब्राह्मणो निर्ग्रन्थ-स्थविरः] ९७ सयपाग [तैलम् ] शालिग्राम [प्रामः] ३०८ शालिभद्र सयाणिय-णीय [राजा] ३६,११६,१६० [श्रेष्ठिपुत्रः] १५,३० शौरि सरयसिरी [राजपुत्री] १२४ [राजा] ६८,६१,७१ सरस्वती देवी] श्रीकान्त [श्रेष्ठिपुत्रः] १३०,१३४ सरस्सई [अमात्यपत्नी] ३४५-४६ श्रीचन्द्रसूरि [निर्ग्रन्थ-आचार्यः, सम्वट्ठ + सिद्ध[ देवलोकः] २०,४४,२१० टीकाप्रशस्तौ] ३६९ सब्वत्थ [श्रेष्ठी] २१२ श्रेणिक [राजा] ३,९५,२२७, ससिसेहर [राजा] २२८,२८५ ३२६३५१ सहदेवी [राज्ञी] ३६३ [श्रेष्ठी] १०८ *सउरी [राजा] [राजा] २२१,२७०,३३५, *सगर [चक्रवर्ती ] ३२१ ३३७,३४०-४१ सगर। ३२२,३२४-२५ ३२६ सयर) संख + उर [नगरम् ] २५,२८,२९, [निर्ग्रन्थ-मुनिः] ३३४,३४२ नाम किम् ? पत्रम् संखपाल-बाल [यक्षः] २८,२९ संगमअ-य [कुलपुत्रः] संगमय [देवः] ११५ संगय [राजपुत्रः] संगरपुर [नगरम्] ५५ संगा [श्रेष्ठिपत्नी ] संति + नाह [तीर्थकरः] २९,३०,३२३ संदणपुर [नगरम् ] २९९,३०३ [राजा] १२५-२५ १२३ संपया [श्रेष्ठिपस्नी] संपुल कञ्चुकी] संब [राजपुत्रः] ८०,२४०,३११, ३१५३१७,३२० [तीर्थकरः] ३२३ संभूइ [मातंगपुत्रो निर्ग्रन्थ-मुनिश्च] ३२९ *संभूत २१८ २२१,२७५ संभूयविजय [निर्ग्रन्थ-स्थविरः] १८३ साकेम-य [नगरम् ] १६५,२२१,३५४ सागर + अ [श्रेष्ठी] ४४,४५ सागरचंद [राजपुत्रः] २४०,३५५ २३८ सागरचन्द्र २४०-११ *सागरदत्त [श्रेष्ठी] २६२ सागरदक्त-सायर०, ४४,४५,१५०-५१, २६२-६१ सामाइअ [कुटुम्बी] सामि [वर्धमानस्वामी तीर्थकरः] ३३३ सायर [अमात्यपुत्रः] १९३ सार्वभूति [निर्ग्रन्थ-आचार्यः] ६१ सालिगाम [ग्रामः] ३०,६९,७६, १२८-२९, २२२ सालिभद्द [श्रेष्टिपुत्रः] १७,३०-३५ सावत्थी [नगरी] ३२६,३४५ *सावित्ती [ब्राह्मगपत्नी] ३४४ सावित्ती ३४५ [पुरोहितपत्नी] ३.५ [देवी] सावित्री [ब्राह्मणपत्नी] १६८ संख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016006
Book TitleAkhyanakmanikosha
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages504
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary & Story
File Size13 MB
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