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________________ 'केवल ३१ बातें सीखो' वचनमति माताजी अगर जीना है तो प्रात्मोद्धार के लिये जीनो। अगर सीखना है तो आत्मरमण करना सीखो। अगर पढ़ना है तो चारों अनुयोगों को पढ़ो। अगर चलना है तो शास्त्रानुसार चलो। अगर छोड़ना है तो मिथ्यात्व को छोड़ो। अगर पूजना है तो सच्चेदेव शास्त्र गुरू को पूजो। अगर सत्संग करना है तो साधु संतों का करो। अगर देना है तो चार प्रकार का दान दो। अगर खाना है तो गम खायो। अगर पीना है तो ज्ञानामृत पीयो । अगर प्रेम करना है तो प्रभु से करो। अगर मंत्र जपना है तो णमोकार मंत्र जपो।। अगर लड़ना है तो कर्मों से लड़ो। अगर जीतना है तो इन्द्रियों को जीतो। अगर धोना है तो कर्म मैल को धोनो। अगर बनना है तो सम्यक्दृष्टि बनो। अगर देखना है तो स्वयं को देखो। अगर जानना है तो स्व को जानो। अगर जागना है तो मोह नींद से जागो । अगर सुधारना है तो स्व को सुधारो । - अगर लेना है तो दीक्षा लो । अगर बोलना है तो सत्य बोलो । अगर प्रचार करना है तो अहिंसा का करो। अगर नहीं करना है तो रागद्वेष मत करो । अगर साधु बनना है तो निष्परिग्रही बनो । अगर चर्चा करना है तो तत्वों की करो । अगर ध्यान करना है तो शुक्ल ध्यान करो। अगर पाना है तो वीतरागता को पायो । अगर ठहरना है तो प्रात्मा में ठहरो । अगर ज्ञानी बनना है तो केवली बनो । अगर मरना है तो पंडित-पंडित मरन से मरो। 5/20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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