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________________ जो आत्मतोष मिला वह अवर्णनीय है तथा प्रभूत- नियमों का परिपालन करें व उन्हें अपने जीवन का पूर्व था। ऐसे समागम से जो प्रेरणा प्राप्त हुई अंग बनालें। उसके फलस्वरूप श्रवणबेलगोल में एक आयुर्वेदिक औषधालय की स्थापना की गयी जो जन साधा- मुझे भी वैयावृत्ति की प्रेरणा व यह पुनीत रण के रोग निवारण में अपना सहयोग प्रदान अवसर वैद्यसुशीलकुमारजी के सान्निध्य व निर्देशन करेगा। आर्थिक रूप से ऐसे पुन्य कार्य में सहायक में मिला। मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा। सभी व्यक्ति साधुवाद के पात्र हैं। इसके साथ ही सन्तों की वैयावृति से मुझे तथा मेरे साथियों को जो सभी जनों का यह कर्तव्य है कि वैयावृत्ति में प्रात्मतोष मिला उसकी स्मृति हमारे जीवन की सक्रिय रूप से भाग लें और स्वास्थ्य सम्बन्धी अनुपम निधि है । 1130 महावीर पार्क, जयपुर साम्यवादी धर्म जिस धर्म में केवल अपने आपको जीतना सबसे बड़ी विजय हो, वह वास्तविक साम्यवादी धर्म है । आज के लौकिक साम्यवाद से न कहीं सुख ही, न कहीं शान्ति, केवल अशान्ति का एक हाहाकार मचा हुआ है । वह साम्यवाद संघर्षवाद बन गया है। 5/19 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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