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________________ अपनश एवं हिन्दी जैन साहित्य में शोध के नये क्षेत्र डा० कस्तूर चन्द कासलीवाल . विद्वान लेखक ने अपभ्रंश और हिन्दी के अनेक महत्वपूर्ण कवियों की मोर शोधाथियों का ध्यान प्राषित किया है जो एकाधिक कारणों से अब तक प्रकाश में नहीं पा सके, पर जिनका प्रकाश में पाना देश के सांस्कृतिक अतीत को जानने हेतु प्रावश्यक है । -सम्पादक विगत 40 वर्षों में अपभ्रंश का विशाल भण्डार (जयपुर) के ग्रंथों का एक प्रशस्ति संग्रह साहित्य प्रकाश में आया है। इस साहित्य को प्रकाश प्रकाशित हुआ हैं जिसमें लगभग 50 अपभ्रंश ग्रंथों में लाने की दृष्टि से जिन विद्वानों ने सर्व प्रथम की प्रशस्तियां संग्रहीत है। इनमें से कुछ का तो खोज कार्य किया उनमें पं० नाथूराम प्रेमी, डा० विद्वानों को पहिले से भी पता था, कुछ नई हैं । हीरालाल जैन, महापंडित राहुल सांकृत्यापन, मुनि इनमें स्वयम्भू, पुष्पदत्त, पदमकीर्ति, वीर, नयनन्दि, जिनविजय जी, डा. ए. एन. उपाध्य एवं डा. श्रीधर, श्रीचन्द, हरिषेण अमरकीति, यशकीर्ति, परशुराम वैद्य के नाम उल्लेखनीय है। सन् 1950 धनलाल, श्रुतकीर्ति और माधिक्कगज, रहधर आदि में श्री महावीर जी क्षेत्र के साहित्य शोध विभाग की कृतियां हैं । अधिकांश रचनाएं 13वीं शताब्दी की ओर से प्रकाशित प्रशस्ति संग्रह में सर्वप्रथम के बाद की बताई गई हैं व उसके बाद भी 16वीं 50 अपभ्रंश ग्रंथों की एक साथ प्रशस्तियों को शताब्दी तक अपभ्रश में रचनाएं होती रही। इस देखकर हिन्दी के सुप्रसिद्ध विद्वान् डा० हजारी प्रशस्ति संग्रह के रहधर, यशकीर्ति धनलाल, श्रुतप्रसाद द्विवेदी ने अपनी "हिन्दी साहित्य का आदि कीर्ति, और माणिक्कगज चौदहवीं और उसके बाद काल" नामक कृति में जो विचार व्यक्त किये थे वे की शताब्दियों के कवि हैं । निम्न प्रकार हैं ये ग्रन्थ अधिकतर जैन ग्रंथ भण्डारों से ही सन् 1950 में श्री कस्तूरचन्द कासलीवाल प्राप्त हुए हैं और अधिकांश जैन कवियों के एम. ए. शास्त्री के संचालकत्व में आमेर शास्त्र लिखे हुए हैं। स्वभावतः ही इनमें जैन धर्म को ( 3/32 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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