________________
विद्यानन्दजी की प्रेरणा से प्रतिफलित यह पड गाथा प्राचार्यश्री धर्मसागरजी महाराज, धर्मविजय सूरिजी यशोविजयजी महाराज. सुमतिसागरजी महाराज, पूज्य कानजी स्वामी तथा श्रणुव्रत अनुशास्ता श्राचार्य तुलसीजी महाराज के प्राशीर्वाद से सुकलित ललाम है । पाबूजी की पड़ के अनुसार ही यह पड़ मंच पर दर्शकों के सम्मुख लगा दी जाती है तत्पश्चात इसका वाचन प्रारम्भ होता है । इसमें दो व्यक्ति भाग लेते हैं । एक व्यक्ति चित्रों के सम्बन्ध में पूछता जाता है, दूसरा उनके सम्बन्ध में नाटकीय लहज में गद्य पद्य में उत्तर देता है । पड़ राजस्थानी में है जिसकी धुन इस प्रकार हैसा सा ऽसा सा सा सा रे ss सा सा ऽर् भ ग, वा ss न, का मश्रा S ज. S, डर 55 सा
साम्हें साऽ मंड
हावी,
रे
म
म म
सा SSS जी SSS
क था S
णा
ॐ
सु. आदि से अन्त तक यही तजं चलती रहती है । कथा सुणाऊ आज जी अन्श को वाचक गायक के साथ-साथ मंच पर बैठे सभी श्रोता गाते हैं ।
यह पड़ १।। घन्टे के वाचन की है। इसे चित्रकार श्री राजेन्द्रकुमार जोशी ने बड़े मनोयोगपूर्वक तैयार की है। पड़ चितेरा के रूप में जोशी परिवार राजस्थान का गौरव बन चुका है। सब तो यहां की पड़ों विदेशों तक में संग्रहालयों की शोभा बनी हुई हैं । निहालजी ने लोक देवता पाबूजी, देवनारायण की तरह महावीर को पड़ प्रतिष्ठित कर उनके लोकमंगल को सही घरातल देकर लोक में प्रतिष्ठित कर निश्चय हो एक अभिनन्दगीय कार्य किया है । इस कार्य के लिए वे हम सबके वंदनीय हैं ।
सूचना
स्मारिका की प्रति प्राप्त करने हेतु निम्न में से किसी एक पते पर पत्र व्यवहार करें१. श्री राजकुमार काला
नाटाणियों का रास्ता, मोदीखाना,
जयपुर- ३
श्री बाबूलाल सेठी
सेठी भवन, चूरूकों का रास्ता,
स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर के पीछे जयपुर- ३
२.
भ
रे
३. श्री रमेश गंगवाल
४.
C/o सुरेखा साड़ीज, न्यू मार्केट,
घी वालों का रास्ता, जयपुर-३
श्री भंवरलाल पोल्याका
५६६, मनिहारों का रास्ता, मोदीखाना,
जयपुर-३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org