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________________ (१५) (घ) सच्चसङ्केप के रचयिता चुल्लधम्मपाल-पहले यह लिखा जा चुका हैं कि सच्चसङ्केप के रचयिता आचरिय चुल्लधम्मपाल हैं। गन्धवंस में स्पष्ट उल्लेख है- "आनन्दाचरियस्स जेट्ठसिस्सो चुल्लधम्पालो नामाचरियो सच्चसङ्केपं नाम आकासि'। किन्तु सासनवंस में यह विवरण आया हैसच्चसङ्केपं धम्मपालथेरो'। बाद के टीकाकारों आदि ने सच्चसकेप के कर्ता के रूप में आचरिय धम्मपाल ही लिखा है। यहाँ तक कि बुद्धसासन समिति, बर्मा, से १९६२ ई. प्रकाशित सच्चसङ्केप के रचयिता के रूप में भदन्ताचरियधम्मपाल थेर की यह कृति है, यही उल्लिखित है। इसकी भूमिका में यह विवरण प्राप्त है— “सच्चसकेपो पन आचरियधम्मपालत्थेरेन विरचितो ति यति; वृत्तञ्च सासनवंसदीपिकायं—'सच्चसङ्केपं धम्मपालत्थेरो (अकासी') ति। मणिसारमञ्जूसायं च ततियपरिच्छेदवण्णनायं 'आह कथेसं सच्चसङ्केपे-- धम्मपालाचरियस्स गरुभावतो पोराणा ति बहुवचनवसेन सोवेको वुत्तो' ति च, 'सच्चसङ्केपे नाम पकरणे धम्मपालाचरियेन वुत्तं ति योजना' ति च' । बुद्धसासन समिति, बर्मा, द्वारा यह ग्रन्थ अमिधम्मावतार, नामरूपपरिच्छेद तथा परमत्थविनिच्छय आदि तीन अन्य ग्रन्थों के साथ प्रकाशित हुआ है। इनमें अभिधम्मावतार के रचयिता आचरिय बुद्धदत्त हैं तथा नामरूपपरिच्छेद एवं परमत्थविनिच्छय के प्रणेता अमिधम्मत्थसङ्गह के कर्ता आचरिय अनुरुद्ध। मललसेकर ने अपनी 'डिक्शनरी आफ पालि प्रापर नेम्स' में धम्मपाल के सम्बन्ध में लिखा है कि सच्चसङ्केप के लेखक सीलोन के थेर धम्मपाल हैं, जिन्हें सामान्यत: चुल्लधम्मपाल के नाम से अमिहित किया जाता है । अपने ग्रन्थ 'दि पालि लिटरेचर आफ सीलोन' में गन्धवंस का आश्रय लेते हुए उन्होंने इन्हें चुल्लधम्मपाल ही माना है और सद्धम्मसङ्गह में आये इस विवरण का खण्डन किया है कि सच्चसङ्ग्रेप के रचयिता आनन्द हैं। वहीं पर इन्होंने यह भी लिखा है कि ये अभिधम्ममूलटीकाकार वनरतन आनन्द के शिष्य थे। हम पहले यह लिख चुके हैं कि प्रसिद्ध अट्ठकथाकार आचरिय धम्मपाल ने सच्चसङ्केप की रचना की थी, इसका कहीं भी उल्लेख गन्धवंस में प्राप्त १. गन्धवंस, पूर्वोक्त, पृ०६०। २. सासनवंस, पूर्वोक्त, पृ० ३१। ३. पृ०, ग। ४. पृ० ११४६। ५. पृ० २०२-२०३। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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