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________________ सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरप्रदेश के कतिपय विशिष्ट जैन व्यापारी २१. मानसिंह जौहरी ये मूलतः आगरा निवासी थे तथा जैनधर्म का पालन करते हुए जौहरी का कार्य करते थे । इनका समय औरंगजेब के शासन काल के अन्तर्गत आता है । कविवर द्यानतराय ने १६९३ ई. में 'धर्मविलास' नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने मानसिंह जौहरी के आध्यात्मिक कार्यों का वर्णन करते हुए लिखा है कि आगरा में इस समय अनेक जैन बसे हैं, जिनको धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त है तथा औरंगजेब का शासन है, जिसके शासन में शान्ति-व्यवस्था बनी हुई है । उसने आगे लिखा है कि उस समय आगरा और दिल्ली में जैन धर्मावलम्बी धार्मिक संगठन बनाये गये थे, जिनमें धार्मिक चर्चा होती थी। आगरा में उस समय मानसिंह जौहरी की सैली ( या संगठन) प्रसिद्ध थी । इसी प्रकार दिल्ली में सुखानंद की सैली थी । २२. शाह वर्द्धमान और उनका परिवार ये आगरा के रहने वाले थे । जहाँगीर के शासनकाल में सम्पन्न जैनों में इनकी गणना की जाती थी । इनका मुख्य कार्य व्यापार था । ये ओसवाल जाति के गुहाड़ गोत्र के थे । इनके कई पुत्र थे - शाह मानसिंह, रायसिंह, कनकसेन, उग्रसेन तथा ऋषभदास |° इनके सभी पुत्र धन सम्पन्न व्यक्ति थे तथा धार्मिक कार्यों पर धन are करते थे । इन लोगों ने अपने पिता के आदेशानुसार शत्रुंजय तीर्थ पर सहस्रकूट तीर्थ क्षेत्रका १६५३ ई. में निर्माण करवाया । तपागच्छाचार्य हरिविजय सूरि की परम्परा में श्री विनयविजयमुनि ने इसकी प्रतिष्ठा करवाई थी । " उपर्युक्त धार्मिक कार्यों से इनकी सम्पन्नता का आभास मिलता है आगरा संघ के श्रावकों एवं संघपतियों की सूची में ही नाम जान पड़ता है | । सन् १६१० ई. के विज्ञप्तिपत्र में उल्लिखित शाह वर्द्धमान, इनका १२१ ७८. द्यानतराय 'धर्मविलास' (बम्बई, जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, १९१४) पृ० २५५ । ७९. वही, पृ० २५५ । ८०. सुख सम्पतराय भंडारी तथा अन्य ' ओसवाल जाति का इतिहास' ( भानपुरा, इन्दौर, ओसवाल हिस्ट्री पब्लिशिंग हाउस, १९३४) पृ० १३७ । ८१. वही, पृ० १३७ । ८२. प्राचीन विज्ञप्तिपत्र, पृ० २५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only परिसंवाद ४ www.jainelibrary.org
SR No.014026
Book TitleJain Vidya evam Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1987
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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