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________________ Корпорира शुभ आशीर्वाद 卐 राजस्थान जैन सभा के तत्त्वावधान में प्रतिवर्ष 'महावीर जयन्ती स्मारिका' का प्रकाशन होता है । यह शुभ पावन कार्य है । परस्परोपग्रहो जीवानाम् अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने १२ वर्ष की कठोर मौन आत्म-साधना के उपरान्त जो कैवल्य की प्राप्ति की, उसका निर्वचन उनके परम शिष्य इन्द्रभूति गौतम गणधर ने भगवान की ॐकारमयी ध्वनि को ग्रहण कर जन-जन तक प्रस्फुटित किया । भगवान महावीर के निवार्ण होने पर इन्द्रभूति को कैवल्य की प्राप्ति हुई । Jain Education International पश्चातवर्ती कॆवलियों और श्रुतकेवलियों एवं आचार्यों ने चारों अनुयोगों में जैनधर्म-दर्शन को निबद्ध किया। परवर्ती दिगम्बराचार्यों ने अपने पंचाचारों के द्वारा प्राणीमात्र के हितार्थ इह लॉक के अभ्युदय और पारलौकिक निःश्रेयस का संदेश दिया । भगवान महावीर की जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर वीर प्रभु का पावन संदेश 'स्मारिका' के माध्यम से जन-जन तक पहुँचे, सब अपना कल्याण करें, इसी भावना के साथ स्मारिका के प्रबन्ध संपादक व प्रकाशक संस्था को शुभाशीर्वाद हैं। - मुनि पावन सागर, जयपुर рррррррррррррррррррррррррр महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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