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________________ श्रीलाल पाटनी ने—सं. 1870 में तेरहद्वीपपूजा और अकृत्रिम चैत्यालय पूजा लिखी हैं । इनकी एक रचना प्राप्तपरीक्षा भाषा है । मन्नालाल सांगा ने सं. 1871 में चारित्रसार की हि. गद्य वचनिका लिखी थी । अमरचन्द, जयपुर राज्य के दीवान थे, शास्त्रमर्मज्ञ और विद्वानों के प्रश्रयदाता थे, 19वीं शती ई० के पूर्वार्ध में हुए हैं- परमात्मप्रकाश की हिन्दी टीका लिखी । केशरीसिंह पंडित ने - वि. सं. 1873 में वर्द्धमानपुराण की हिन्दी वचनिका लिखी और संस्कृत में बृहद्ध्वजारोपण पूजन । सदासुखदास कासलीवाल पंडितप्रवर, पूर्णजीवन लगभग (1795-1867 ई०), रचनाओं से ज्ञात तिथियाँ 1821 से 1864 ई० तक की हैंभगवती श्राराधना वचनिका (सं. 1878), तत्त्वार्थ सूत्र की अर्थप्रकाशिका टीका (सं. 1914), समाधि 2-118 करण - मृत्युमहोत्सव (सं. 1919) रत्नकरण्डश्रावकाचार टीका (सं. 1920), नित्यनियम पूजा टीका (सं. 1921), नाटक समयसार वचनिका, पंचप्रतिक्रमणसूत्र वचनिका, प्रकलङ्काष्टक वचनिका, आदि । व्याकरण विषय की भी एक कृति इन्होंने रची बताई जाती है । Jain Education International नेमिचन्द पाटनी ने के बीच तीन भाषा पूजाएं रचीं । 1823 से 1864 ई० चम्पाराम दोवान ने स. 1882 ( सन् 1825 की । पन्नालाल चौधरी, भारी शास्त्रकार थे, 19वीं शती ई० के पूर्वार्ध में हुए, लगभग 35 ग्रन्थों की हिन्दी गद्य वचनिकाएँ लिखीं, यथा - वसुनंदि ई०) में जैन चैत्यस्तव की हि.-पद्य में रचना श्रावकाचार, सुभाषितार्णव तत्त्वसार, प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, निदत्तचरित्र, तत्त्वार्थसार, सद्भाषितावली, श्राराधनासार, धर्मपरीक्षा, योगसार, समाधिशतक, तत्त्वार्थसारदीपक, सुभाषित रत्न संदोह, भक्तामर कथा, पाण्डवपुराण, यशोधर चरित्र, जम्बुचरित्र, जीवंधर चरित्र, गौतमचरित्र, भविष्यदत्त चरित्र, प्रचारसार, नवतत्त्व, श्रावकप्रति*मरण, स्वाध्यायपाठ, विविध भक्तियाँ और विविध स्तोत्र । उदयचन्द लुहाड्या ने -- 1825 ई० के लगभग रत्नकरण्ड श्रावकाचार वचनिका लिखी । ताराचन्द ने इसी समय के लगभग तीसचौवीसी पूजा की रचना की । जवाहिरलाल पंडित ने इसी समय के लगभग तीस - चौबीसी पूजा त्रिलोकसार विधान, और सम्मेदशिखर महात्म्य एवं पूजाविधान की रचना की । ऋषभदास निगोत्या ने सं. 1888 में नन्दलाल छाबड़ा के सहयोग से मूलाचार की हिन्दी गद्य वचनिका लिखी। इनकी ग्रन्य रचनाएँ रत्नत्रय पूजा - जयमाल और व्रत विचार हैं । नंदलाल छाबड़ा ने --- ऋषभदास निगोत्या के सहयोग से ऋषि मंडल मन्त्रपूजा और तीस-चौबीसी पूजा समुच्चय की हिन्दी में रचना की । महावीर जयन्ती स्मारिका 78 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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