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________________ दानसाले के (1103) ई० चालुक्य सामन्त राज्याध्यक्ष श्री सुभट प्रादि ने महावीर की वार्षिक सान्तारदेव तैल जो भगवान पार्श्व के वंश में जन्मे पूजा व रथयात्रा के प्रसंग में उत्कीर्ण कराया था।" थे. उनके शिलालेख में महावीर व गौतम गणधर का उल्लेख है ।12 श्रवण वेलगोल के सिद्धरवस्ती के स्तम्भ लेख में महावीर का स्मरण किया गया है यथाः लगभग 1209 ई० के रहवंश के राजा लक्ष्मी वीरो विशष्टांम विनयायराती देव की रानी चन्दिकादेवी ने, अपने प्रसाध्य रोग से मिति लोकेरमिवष्टन्तेयः । मुक्ति पाने की कामना से, भगवान महावीर का निरस्तकम्मा निखिलार्थवेदी एक मन्दिर बनवाया तथा उसमें महावीर की मूर्ति पायादसों प्रश्चिम तीर्थ नाथिः । प्रतिष्ठित कर नित्य प्राराधना करती। महावीर तस्याभवन सदसि वीरः जिनस्य के प्रति असीम श्रद्धा व भक्ति के परिणामस्वरूप सिद्ध सप्तद्धयो गणधरा............ धै रोग मुक्त हो गई।13 ये धारर्यान्त शुभ दर्शन भीनमाल में सन् 1277 ई० का एक स्तम्भ बोध वृत्त मिथ्यात्रयादपि.. लोख जयकूप झील के उत्तरी किनारे पर है, जिसमें देश के कोने-कोने में महावीर विषयक अनेक महावीर के श्रीमाल नगर में पाने का उल्लेख है ।14 मूर्ति व शिलालेख अभी प्रतल के गर्भ में उजागार इस ले रा को कायस्थों के नंगमकुल के वाहिका होने की बाट जोह रहे हैं । 1. "The Jain stupas and other Antiquities of Mathura" (By V. A. Smith. Plate XVIII Page 25-26) 2. वही प्लेट XVII पृष्ठ 24 3. 'नवनीत' मासिक बम्बई जून 1973 पृष्ठ 78 4. Jain stupa and other Antiquities of Mathura Page. 46 Page 52 6. नवनीत मासिक बम्बई जून 1973 पृष्ठ 78 7. प्रिन्स अल्वर्ट एण्ड विक्टोरिया संग्रहालय, लंदन 8. पहिंसा वाणी, अप्रेल-मई, 1956 9. i. e. one who like (Prine) Vardbman in his boy hood. JBORS, Vol XIII 1927 P. 224, K.P.J. 10. जनल प्रांव दी विहार एण्ड उड़ीसा रिसर्च सोसायटी भा. 16 (1930) 11. 'नमो अरहन्तो वर्तमानम' जैन शिलालेख संग्रह भाग 2 12. "वर्द्धमान स्वामिगल तीर्थवत्ति........पूर्व पृ. 369-370 13. इन्सऋप्सन्स इन नार्दर्न कर्णाटक पृ. 15 14. यः पुरात्र महास्थाने श्रीमाले सुसमागतः । सदेव श्री महावीर.............. 15. दी गजेटियर माफ दी बम्बई प्रेसीडेन्सी, भाग 1, खंड 1, पृष्ठ 480 महावीर जयन्ती स्मारिका 77 2-15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
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