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________________ गांधी : अहिंसा का व्यवहार पक्ष है कि इसके लिये कोई भी सरकारी एजेन्सी नहीं है। फिर भी व्यक्ति अपने अन्तःकरण से इसे व्यवहार में लाने के लिये प्रयत्नशील है। मुस्लिम देशों में हाथ के बदले हाथ काटने का दण्ड दिया जाता है परन्तु हमारे देश में इस तरह की दण्ड व्यवस्था नहीं है। इसे यदि गांधी जी का प्रभाव नहीं कहा जायेगा तो हम और क्या कह सकते हैं ? अभी कुछ वर्षों पहले माननीय जयप्रकाश बाबू के सामने बीहड़ डाकुओं ने आत्म समर्पण किया। इसके लिये सरकार उनके सुधार का प्रयास कर रही है। इसे आप क्या कहेंगे? इस प्रकार हम इतना जरूर कह सकते हैं कि पूर्ण रूप में अभी भले ही अहिंसा व्यवहार में न आयी हो, पर आंशिक रूप में जीवन के हर क्षेत्र में इसका व्यवहार होने लगा है। अगर इतना भी न हो तो मानसिक रूप से व्यक्ति अहिंसा के पालन के लिये अवश्य ही तैयार हो रहा है। परिसंवाद-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014014
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size21 MB
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