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________________ वसुदेवहिण्डी की खण्डकथाएँ 111 विशिष्ट रूप से किसी कथा की प्रत्यासत्ति की स्थिति में कथाकार ने उस कथा को ‘प्रसंग' नाम से प्रस्तुत किया है। इस सन्दर्भ में कुल एकमात्र कथा 'वसंततिलयागणियापसंगो' (७७.६) शीर्षक से उपलब्ध होती है। यह कथा धम्मिल्ल के चरित भी प्रत्यासत्ति में, प्रसंग के पल्लवन के लिए, कथावस्तु के मध्य की कड़ी की भाँति उपनिबद्ध हुई है। इसमें वेश्यासक्त धम्मिल्ल के दुष्परिणाम का मार्मिक चित्रण हुआ है। कथाकार ने 'आत्मकथा' अत्तकहा की संज्ञा से कुल नौ कथाएँ उपन्यस्त की हैं। जैसा कि प्रत्येक कथाशीर्ष से स्पष्ट है, इन कथाओं में पात्रों ने अपनी-अपनी आत्मकथा कही है, इसलिए कथाकार ने इन्हें 'आत्मकथा' की सार्थक संज्ञा प्रदान की है। कथा की उक्त संज्ञाओं के अतिरिक्त, कथाकार ने 'आहरण' और 'उदाहरण-संज्ञक कथाओं की भी रचना की है। 'वसुदेवहिण्डी' में 'आहरण-संज्ञक कुल आठ कथाएँ और 'उदाहरण-संज्ञक कुल तीन कथाएँ उपलब्ध हैं। कहना न होगा कि 'आहरण' और 'उदाहरण'-संज्ञक कथाएँ प्रायः एक ही कोटि की हैं, क्योंकि अन्तःसाक्ष्य से भी यह सिद्ध है कि कथाकार उक्त दोनों कथाविधाओं को एक ही श्रेणी की मानते हैं। तभी तो उन्होंने 'अदिण्णादाण'-विषयक मेरु की कथा को 'आहरण' की संज्ञा दी है और पुनः इसी क्रम में ‘अदिण्णादाण'-विषयक दूसरी जिनदास की कथा को ‘उदाहरण' कहा है। 'आहरण' और 'उदाहरण'-संज्ञक कथाओं में दृष्टान्त और नीतिकथाओं का भी अन्तर्भाव उपलब्ध होता है। ये कथाएँ प्रायः सम्बद्ध पात्रों के गुण-दोष तथा लोक-परलोक के विवेचन के क्रम में सन्दर्भित हुई हैं, साथ ही इनमें पाँच महाव्रतों के उत्कर्ष की सिद्धि का भी विनियोग हुआ है। उपरिविवृत खण्डकथाओं या उपकथाओं के अन्तर्गत महान् कथाकोविद संघदासगणी ने अनेक पात्रों की उत्पत्ति, भव और पूर्वभव की भी मनोरंजक कथाओं का उपन्यास किया है। इन तीनों प्रकार की कथाओं के साथ ही पूर्वविवृत ‘सम्बन्ध'-संज्ञक कथाएँ ही 'वसुदेवहिण्डी' की महत्कथा की स्नायुभूत हैं, जिनके माध्यम से सम्पूर्ण मूलकथा में आह्लादकारी कथारस उच्छलित हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014012
Book TitleProceedings and papers of National Seminar on Jainology
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugalkishor Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1992
Total Pages286
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size16 MB
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