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________________ मा बडी प्रसन्नता की बात है कि हमारे परम विद्वान पं. योग्य व्यक्ति का अभिनंदन करना उचित है। मैं तो डॉ. | डॉ. शेखरजीका अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है, डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन से व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं हूँ, शेखरजी दिगम्बर जैन समाज के परम विद्वान् पंडित हैं परंतु उनके कार्य से परिचित जरूर हूँ. जैन धर्म, संस्कृति | आपने अपने जीवन के अन्दर अनेक अच्छे समाजकल्याण के प्रचार-प्रसार के कार्य में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। | के कार्य किये हैं। आपके द्वारा संपादित "तीर्थंकर वाणी" जैन विद्वान के रूप में भी उनकी सेवा अनमोदनीय है। | पत्रिका भी तीन भाषामें निकलती है, विषय अच्छा रहता अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन के लिये मैं आयोजकों को | है। आप कई बार विदेश यात्रा भी कर चुके हैं। आप एक धन्यवाद देता हूँ। इस ग्रन्थ से अनेक लोगों को सत्प्रेरणा | | अच्छे प्रवचनकार भी हैं, आपके द्वारा समाज को मार्ग मिलेगी ऐसी मैं आशा रखता हूँ। मेरा मंगल कामना पूर्वक | निर्देशन मिलता है, आप परम देव-शास्त्र-गुरू भक्त हैं, आशीर्वाद है- यह आयोजन पूर्ण रूपेण सफल हो। आपके द्वारा जिन शासनकी प्रभावना होती रहती है। मेरे आचार्य पद्मसागरजी अहमदाबाद चातुर्मास में आपने अच्छी सेवा की है। आप खूब आशीर्वाद के पात्र हैं। आप दीर्घायु व निरोग रहें ऐसा मेरा आशीर्वाद। गणाधिपति श्री कुन्थुसागरजी महाराज, श्री कुन्थुगिरि (महाराष्ट्र)
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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