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________________ स्मृतियों के वातायन से शिक्षा और समाज का क्षेत्र विशाल है,जहां व्यक्ति सुदीर्घ काल तक अपनी सेवाओं से एक विशेष संतृप्ति का अनुभव करता है। डॉ. शेखरचन्द्र जैन एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने उक्त दोनों क्षेत्रों को अपनी सेवाओं से लाभान्वित किया है। शैक्षणिक जगत में अध्यापक, प्राध्यापक व प्राचार्यत्व जैसे पदों पर रहकर अपनी इस अध्यापन यात्रा को अध्ययन यात्रा के साथ-साथ संचालित किया। लौकिक जगत ही नहीं, अपितु धार्मिक जगत ने भी आपके ज्ञान का आस्वादन देश-विदेश में किया है। चिकित्सा के क्षेत्र में मानवसेवा हेतु गरीबों की सेवार्थ एक “चिकित्सालय का संचालन" सामाजिक क्षेत्र में आपका अनूठा कार्य है। ___ वाणी के धनी इन विद्वान् ने अपनी लेखनी तथा वाणी दोनों से धर्म व संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना अमूल्य योगदान देकर स्वयं की चहुमुखी प्रतिभा को अन्यों के लिए भी स्पृहा का माध्यम बनाया है। मासिक पत्रिका 'तीर्थंकर वाणी' के सम्पादक डॉ. जैन उपन्यास व कहानी लेखन में भी सिद्धहस्त हैं। देशमें जैन संगोष्ठियों में एक विद्वान की हैसियत से आपने सैकड़ों शोधपत्र प्रस्तुत कर अपने ज्ञान का प्रकाश बिखेरा है। साथ ही कुछ ग्रन्थों के सम्पादन से आपकी सम्पादन कला भी उजागर हुई है। डॉ. जैन के मार्गदर्शन में शोध प्रबन्ध के कार्य भी सम्पन्न हुए हैं। समाज में अनेक ट्रस्ट अथवा संस्थाओं के द्वारा प्रस्थापित कुछ पुरस्कारों से पुरस्कृत डॉ. साहब संस्कृति के प्रचारप्रसार में एक विशिष्ट विधा 'ध्यान पद्धति' का भी उपक्रम संचालित करते हैं। ___आपकी चहुमुखी प्रतिभाने भ. ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ में कार्याध्यक्ष एवं अध्यक्ष पद को सुशोभित कर संस्था को गौरव दिया है। साथ ही अन्य विद्वत समहों की कार्यकारिणी में गौरव सदस्य रहकर आपके विचारों को निर्भीकता से रखने का सअवसर प्राप्त किया है। हम डॉ. शेखरचन्द्रजी के चहमखी विकास की मंगल कामना सहित आशीर्वाद प्रदान करते हैं कि वे आत्मविकास हेत 'चारित्र' के क्षेत्र में इसी प्रकार गतिमान प्रोन्नति कर आत्मसेवा में लगाकर इस वर्तमान बौद्धिक मानव पर्याय को सार्थक करें ऐसा मेरा आशीर्वाद है। मशांति आ.श्री वर्धमानसागरजी
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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