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________________ 92 मतियाँ कविताय । धन्य है जो अपने में छिपे हुए विद्वानों को खोजता है तथा उनको समुचित आदर प्रदान करता है। डाक्टर शेखरचन्द्र जैन सभा संचालन व अनुशासन तथा शास्त्र प्रवचन के सबल प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं। आपके भाषण ओजस्वी व वीर रस पूर्ण होते हैं जो आज के युवकों को सही दिशा निर्देश व चेतावनी का रामबाण कार्य करते हैं। शास्त्र प्रवचन में आपकी अतीव प्रवीणता के कारण आपको विभिन्न जैन संघों द्वारा वाणी भूषण, प्रवचनमणि, ज्ञानवारिधि की उपाधियों से विभूषित किया गया है। पुरस्कारों के शिरमोर सन् 2005 का गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार से भी आपको नवाजा गया है। __ऐसे महान् परोपकारी, समाजसेवी, धर्मरक्षक, समाज सुधारक, ओजस्वी वक्ता, शास्त्र प्रवक्ता, धर्म प्रचारक, शिथिलाचार एवं रूढ़िवादी किलों को धराशायी करनेवाले श्रद्धेय डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन के त्याग, तपस्या एवं ! जीवन के बहुमूल्य आदर्शों एवं मान्यताओं के आगे मेरा मस्तक श्रद्धा से नतमस्तक है तथा मैं आपके गरिमामय जीवन की उत्तरोत्तर उन्नति व दीर्घायु की मंगल कामना करता हूँ। श्री कपूरचन्द जैन पाटनी (गौहाटी) संपादक-जैन गजट - हमारे अपने __ भारतीय क्षितिज पर जैन धर्म के यशस्वी कार्यकर्ता, सन्निष्ट अध्यापक, विद्वान समाजसेवी एवं संस्कृति के प्रचारक, व प्रसारक डॉ. शेखरचंद्र जैन के कार्यकलापों से सभी भली भांति परीचित हैं। हम उनके साथ (महेन्द्र व आशा) न्यूयार्क में उनके सम्पर्क में रहे हैं। उनका जैन समाज के लिये किया गया कार्य अति ही सराहनीय है। हमें उनके साथ रहने के जो क्षण प्राप्त हुए हैं, उनको कभी भूल नहीं सकते हैं। वह कोई हमारे अच्छे ही कर्मों का उदय था। आजके तेज गति से चलते समय में ऐसा विद्वान, समाजसेवी मिलना बहुत मुश्किल है। मेरे मन में जो भाव respect है। वह लिखना बड़ा ही मुश्किल है। वह हमारे साथ जैना की यात्रा में साथ रहे। समय समय पर बस में और गाडी में अपने अनमोल वचनों से प्रेरित करते रहे। ऐसा लगता था कि उनका और हमारा कोई धर्म का रिश्ता है। वह जो अस्पताल चला रहे है उस सेवाका तो कहना ही क्या है। भगवान ऐसी बुद्धि व मन सबको प्रदान करे। प्राणी को सही मार्ग दिखलाने के लिए ऐसे ही लोगो की आवश्यकता है। इसी आधार पर तो धरती माता खड़ी है। ऐसे ही सपूत के कंधो की तो धरती को आवश्यकता रहती है। (1) मुख से बोलकर धर्म का प्रचार करना (2) हाथों से तीर्थंकर वाणी लिखकर प्रचार (3) पैरों से जगह जगह पर जाकर प्रचार करना (4) आंखो से असहाय लोगो को देखकर अस्पताल चलाना (5) कानो से दुखी । लोगो की चित्कार सुनकर उनकी सहायता करना। यहाँ जीवन का लक्ष्य है जो डाक्टर साहब कर रहे हैं। पाँचों इन्द्रियों से और मन वच काय से सही कर्म कर रहे हैं। ऐसे ही मनुष्य गति के धारक को असली योगी कहा गया है। प्रभु को ऐसा ही योगी सबसे प्यारा लगता है। ऐसा योगी कोई विरला ही पैदा होता है। ऐसे उस योगी का नाम है डॉ. शेखरचंद्र जैन व उनकी पत्नी। ऐसे । योगी का साथ मिलना हमारे लिये बडे भाग्य की बात है। भगवान करे ऐसी बुद्धि सब को प्रदान हो, और आगे भी इसी तरह से समस्त कार्य करते रहें। भगवान उनको व उनके परिवार को ऐसी समता व सद्बुद्धि कायम रखे। यही हमारी शुभ कामनाएं उनके साथ हैं। महेन्द्र व आशा जैन (न्यूयार्क) ।
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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