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________________ પાડનારું છે. તેમની અંદરના સ્વપ્રદૃષ્ટાને આ પ્રસંગે હું ખૂબ ખૂબ શુભેચ્છાઓ પાઠવું છું. તેમની સમષ્ટિલક્ષી દૃષ્ટિ દિવસેને દિવસે દિવ્ય બનતી જાય તેમનું સ્વાથ્ય તેમના મનોરથોને પૂરા કરવામાં મદદરૂપ તાય मेवी शुभेच्छामो पार्छ. मने पातरी छ Sky is the limit for him. 8 साडेजनी धी સ્મૃતિઓ મારા મનમાં પડેલી છે. પણ શ્રેષ્ઠ સ્મૃતિ તો અમારા નિસ્વાર્થ, અનન્ય અને મધુર સંબંધની જ રહેશે. અંતમાં કવિશ્રી નિરંજન ભગતની પંક્તિઓ સાથે વિરમું છું. કાળની કેડીએ ઘડીક સંગ, રે ભાઈ! આપણો ઘડીક સંગ; આતમને તોય જનમોજનમ લાગી જશે એનો રંગ! प्रो. १३९॥ पार्टी (महापा) a बहुमुखी प्रतिभा के धनी परम आदरणीय डॉ. शेखरचन्द्र जैन से मेरा परिचय अनेक वर्षों पुराना है। मैं उन्हें अपना धार्मिक और साहित्यिक गुरू मानता हूँ। जब मुझे पता चला कि आदरणीय डाक्टर साहब के सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रंथ भेंट किया जायेगा तो मैं हर्ष विभोर हो उठा।डॉ. शेखरचन्द्रजी का सम्पूर्ण जीवन जैन धर्म और समाज के प्रति समर्पित रहा है। उनका अभिनन्दन उनके द्वारा की गई समाज की सेवाओं का अभिनन्दन है। इस अभिनन्दन पर समाज को गर्व होना चाहिए। ___ डॉ. शेखरचन्द्रजी को, मुझे जितना भी देखने, सुनते तथा जानने का सौभाग्य मिला है, उसके आधार पर मैं दृढ़ता पूर्वक रह सकता हूँ कि वे एक समर्पित व्यक्तित्व के धनी हैं तथा अपनी सारी शक्ति के साथ वे समाज एवं संस्कृति की सेवा करने के लिए कृत संकल्प हैं। उनकी दृष्टि अत्यन्त दूरगामी, बुद्धि अत्यंत प्रखर तथा हृदय बहुत ही निर्मल है। वे पूर्णतः निर्भीक एवं निर्भय हैं- कदाचित् इसलिए कि वे लोभ-लालच से परे हैं। वे अत्यन्त ओजस्वी हैं तथा जो कुछ भी उन्हें कहना होता है, उसे स्पष्ट शब्दों में कह देते हैं। सत्य बात कहने से उन्हें कोई रोक नहीं सकता। वे आचार-विचार में बहुत ही दृढ हैं तथा उनका व्यवहार बहुत ही मधुर एवं मृदु रहता है। ___डॉ. शेखरचन्द्रजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। एक ओजस्वी एवं प्रभावशाली वक्ता होने के साथ-साथ आप एक कुशल लेखक भी हैं। प्रसिद्ध त्रिभाषी पत्रिका 'तीर्थंकर वाणी' में आपके सम्पादकीय लेख समस्त जैन समाज में अत्यन्त चाव से व आग्रह पूर्वक पढ़े जाते हैं। आप प्रगतिशील विचारों के एक सुलझे हुए व्यक्ति हैं। समाजसेवा एवं प्रगतिशीलता में आपकी गहरी दिलचस्पी हैं। आप समन्वय ध्यान साधना केन्द्र के संस्थापक-ट्रस्टी-अध्यक्ष हैं जो पिछले दश वर्षों से अहमदाबाद के अति पिछड़े इलाके ओढ़व में श्री आशापुरा माँ जैन अस्पताल' के नाम से गरीबों की सेवा कर रहे हैं। असहाय लोगों को निःशुल्क दवा और निःशुल्क आँख के ऑपरेशन कराये जा रहे हैं। ___ डाक्टर साहब अन्ध विश्वास, सामाजिक कुरीतियों तथा वर्तमान में जैन मुनि संस्था में फैले हुए शिथिलाचार के प्रबल विरोधी हैं। आप कट्टर आर्षमार्गी मुनि भक्त हैं किन्तु मुनियों के शिथिलाचार की आलोचना करने में भी आप चूकते नहीं है। आपका मानना है कि मुनियों की आलोचना करना मुनि निन्दा नहीं है बल्कि उन्हें अपने कर्तव्यों का स्मरण कराना है। विद्वानों की विनय करना, उनका स्वागत करना, सम्मान करना, अभिनन्दन करना तथा उनकी प वाला समाज हमेशा जीवित रहा है और हमेशा जीवित रहेगा। वह समाज कभी जिन्दा नहीं रह सकता जिसमें विद्वानों को आदर की दृष्टि से नहीं देखा जाता। विद्वान समाज के प्रकाशमान नक्षत्र होते हैं जो समाज में फैले हुए अंधकार को दूर कर समाज को नई दिशा- एक नई गति- एक नया जीवन प्रदान करते हैं। इसलिये वह समाज
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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