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________________ श्रद्धांजलि । महेन्द्र कुमार मस्त वह महान तेजोमयी तथा युगदृष्टा साध्वी मृगावती श्री जी जो परम्परा थी इस युग की आदि साध्वी ब्रह्मा व सुन्दरी की वह मृगावती जो सुनाया करती थी जो परम्परा थी चन्दनबाला की यशो विजय आनन्दघन व श्रीमद राजचन्द्र और .जो मिसाल थी मध्य युगीन जो कहा करती थी-स्वाध्याय करो याकिन महत्तरा की और जागृत करो कुण्डिलिनी वह जो पथानुगामी थी आत्म वल्लभ की __ और उनके आदर्शों की - वह मृगावती जो जन्मदायिनी थी कांगड़ा, लहरा और वल्लभ स्मारक से तीर्थों की वह जो स्मारक बनाते-बनाते खुद एक स्मारक हो गई वह जिसने दी, नई विचार दृष्टि वह मृगावती जिससे शिलान्यास किया और भावी पीढ़ियों को दे गई उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिर माता पद्मावती कैंसर अस्पताल का और महादेव की तरह खुद पी लिया जहर इस भयंकर रोग का ताकि मावन मात्र इससे छुटकारा पा सके ऐसी महान तेजोमयी तथा युग द्दष्टा साध्वी मृगावती श्री जी जिसे पाने के लिए भारत माता रुपी नर्गिस ने हजारों साल तपस्या की व दोबारा सदियों तक न होंगे जिसके दर्शन उसके पावन चरण कमलों में सादर सश्रद्धा सभक्ति नमन व समर्पित है श्रद्धांजलि। મહત્તરા શ્રી મગાવતીશ્રીજી ૧૬૭
SR No.012083
Book TitleMahattara Shree Mrugavatishreeji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah and Others
PublisherVallabhsuri Smarak Nidhi
Publication Year1989
Total Pages198
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size5 MB
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