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________________ विषय खंड स्याद्वाद की सैद्धान्तिकता रूप में विरोध हैं । इस तरह एकही वस्तु में भाव अभाव दोनों हो सकते हैं । स्वरूप से भाव पर रूपसे अभाव । २ शंका - अस्ति नास्ति का एक पदार्थ में होना; एक अधिकरणमें होना हैं । इसीलिए एकाधिकरण दोष हैं ? समाधान - एक वृत्त रूप अधिकरण में चल और अचल दोनों धर्म हैं। एकही वस्तु रक्त, श्याम, पीत कई रंग हो सकते हैं । इसी प्रकार अनेकान्तवाद है । १९ ३ शंका - जो अप्रामाणिक पदार्थोंकी परंपरा से कल्पना हैं । उस कल्पना के विश्राम के अभाव को अनवस्था कहते हैं । अस्ति एक रूप से नास्ति पर रूपसे हैं । दोनों एकरूप से होने चाहिए अन्यथा अनवस्था दोष आता है ? समाधान - - अनेक धर्मरूप वस्तु पहले से ही सिद्ध हो चुकी । फिर कहने की आवश्यकताही क्या ? यहाँ अप्रामाणिक पदार्थों की परंपरा की कल्पना का सर्वथा अभाव है । ४ शंका - एक काल में ही एक वस्तुमें भिन्न धर्मोका पाया जाना संकरता हैं और वह इसमें है ? समाधान -- अनुभवसिद्ध पदार्थ सिद्ध होनेपर किसीभी दोष को स्थान नहीं । पदार्थ की सिद्धि अनुभवसे विरुद्ध होती है तभी यह दोष आता है वरन् नहीं । ५ शंका - परस्पर विषयगमन को व्यतिकर कहते हैं । जैसे जिस रूप से सत्य है, वैसे उसी रूप से असत्य भी होना नकि सत्य और जिस रूपसे असत्य है उसी रूप से सत्य होना नकि असत्य, इसीलिए व्यतिकर दोष है । समाधान - स्व स्वरूप से सत्य और परस्वरूप से असत्य अनुभव सिद्ध होनेसे न संकर को स्थान है न व्यतिकरको । ६ शंका - एकही वस्तुमें सत्व असत्व उभय रूप होने से निश्चय करना अशक्य है कि यह क्या ? इसीलिए संशय हैं । समाधान - - व्यवस्थित रूपसे वस्तु रूपका ज्ञान होनेसे संशय दोष हो ही नहीं सकता । - ७ शंका - संशय होने से बोध का अभाव हैं इसीलिए अप्रतिपत्ति शेष है । समाधान- जब संशयही न हो तो वस्तु का बोध ठीक रूपसे होगा ही फिर अप्रतिपत्ति दोष क्यों होगा ? नहीं होंगा । ८ शंका - अप्रतिपत्ति होने से सत्व-असत्व-स्वरूप वस्तुका ही अभाव प्रतीत होगा । अतः अभावदोष है । समाधान--- जब अप्रतिपति दोषही लागू नहीं हुआ तो लुप्त होगा अर्थात् यह दोष भी स्याद्वाद् सिद्धान्त में रह Jain Educationa International For Personal and Private Use Only अभाव का प्रभाव ही नहीं पाता । www.jainelibrary.org
SR No.012074
Book TitleYatindrasuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size14 MB
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