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________________ शुभाशीष / श्रद्धांजलि पं. रमेश चंद्र जी लार्डगंज जैन मंदिर, जबलपुर स्व. डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य ने अपनी सेवाएँ गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय सागर में समर्पित भाव से 1951 से 2005 तक सम्पन्न की। आप भद्र परिणामी एवं सहयोगी भावना वाले थे | आपको 'विद्वत रत्न' की उपाधि से वर्ष 2001 में सम्मानित किया गया यह विद्वानों एवं पंडितजनों के लिए गौरव की बात है । अपने जीवन में अनेक राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी तथा धर्म सभाओं को संचालित किया। आपका धार्मिक जीवन सेवा भावना एवं अनुशासन से परिपूर्ण रहा है, जो कि अनुकरणीय है। उनकी अविस्मरणीय सेवाओं के उपलक्ष्य में जो स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा है वह एक अविस्मरणीय एवं प्रभावनापूर्ण प्रयास है । मैं दिवंगत आत्मा की शांति सद्गति की कामना के साथ सम्पादक मण्डल एवं प्रकाशक मंडल को अपनी आत्मीय मंगलकामनाएँ प्रेषित करता हूँ । सुरभित सुमनांजलि - प्रतिभा सम्पन्न - ܀ पं. शीतलचंद जैन शास्त्री सागर पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य का जन्म शाहपुर के सुप्रसिद्ध अध्यात्मवेत्ता भायजी भगवान दास के घर पर हुआ था। आप पाँच भाई थे पाँचों राष्ट्रीय स्तर के विद्वान थे। भायजी साहब वर्णी जी की प्रिय नगरी के निवासी थे । आपने श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षक से सेवा कार्य प्रारंभ कर प्राचार्य पद पर रहकर जीवन पर्यन्त कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में सराहनीय कार्य किया है। आपकी यह बात अत्यधिक अविस्मरणीय एवं सराहनीय है कि मरण के पूर्व तक 12/2/2006 से 15 दिन पूर्व तक सेवानिवृत्ति के उपरांत आप विद्यालय के छात्रों को महत्वपूर्ण विषयों का अध्यापन कराते रहे हैं। ऐसे कर्मयोगी कर्मठ विद्वान आज के युग में विरले ही होते है । सफल शिक्षक Jain Education International साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ कर्मठ विद्वान पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य पंडित जी श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय के श्रेष्ठ, सफल एवं कर्मठ अध्यापक के रूप में देश भर से अध्ययन के लिए आने वाले छात्रों को 1951 से लेकर 2005 तक शिक्षा देते हुए तथा इसी बीच पं. पन्नालाल जी के प्राचार्य पद छोड़ने के बाद आप कुशल प्रशासक के रूप में प्राचार्य पद पर पदस्थ रहे। आपके प्राचार्य काल में विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था के साथ साथ विद्यालय परिवार पूर्णरूपेण अनुशासित रहा । आप लेखनी, वाणी और कर्म के धनी, जैन दर्शन एवं साहित्य मनीषी, बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न, 36 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012072
Book TitleDayachandji Sahityacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
PublisherGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
Publication Year2008
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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