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________________ शुभाशीष / श्रद्धांजलि सागर की धरोहर महेश बिलहरा सागर अत्यंत हर्ष का विषय है कि परम आदरणीय अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य स्मृति में स्मृति ग्रंथ "साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ " के प्रकाशन होने पर मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ, डॉ. पं. दयाचंद साहित्याचार्य स्मृति ग्रंथ प्रकाशन समिति ने मुझे भी इसमें सहयोगी बनने का अवसर दिया इसके लिए मैं अपना सौभाग्य मानता हैं, एवं समिति का आभारी हूँ । श्री पंडित जी से मेरा सम्पर्क पिछले 10 साल में कुछ अधिक रहा किन्तु आखिरी के कुछ पल जो मैंने उनके साथ व्यतीत किये एवं जो उनको सम्बोधन देने का सौभाग्य मुझे मिला, वह मेरी यादों में हमेशा रहेगा, और मुझे उनकी राह पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा । मैं इस स्मृति ग्रंथ के प्रकाशन में कटिबद्धता के साथ सहयोग दूँगा । शुभकामनाओं सहित Jain Education International ܀ जिन पर समाज को गौरव है साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ डॉ. जीवन लाल जैन सागर (म.प्र.) यह जानकार हर्ष हुआ कि श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय सागर के दिवंगत प्राचार्य स्व. डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य का स्मृतिग्रंथ "साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ" प्रकाशित होने रहा है पंडित जी उन पुरातन विद्वानों की परम्परा में जिन पर समाज को गौरव है तथा जो आध्यात्मिक बुंदेलखण्ड के संत पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी महाराज के शुभाशीष प्राप्त आज्ञाकारी रहे हैं, उनमें प्रमुख हैं। आपका सम्पूर्ण जीवन एक सफल कर्मठ, अध्यापक से लेकर प्राचार्य पद तक 1951 से 2003 तक रहा। वर्ष 2001 में आपको “विद्वतरत्न" की उपाधि से सम्मानित किया गया एवं रुपये 51000/- की राशि प्रदान की गई। तब से आप विद्यालय की निःशुल्क सेवा करते रहे । सन् 1990 में आपको "डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर द्वारा पी.एच.डी." की उपाधि प्रदान की गई । आपने "पयूषण पर्व" में देश भर के विभिन्न शहरों में जैन धर्म पर प्रवचन कर समाज को धर्म लाभ प्रदान किया एवं संस्था को आर्थिक योगदान प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहयोग किया । अनेक राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठियों एवं सभाओं का संचालन किया। पंडित जी धर्मनिष्ठ, सरल, भद्र परिणामी जैन श्रावक एवं मनीषी विद्वान थे । आपके द्वारा जैन धर्म के साहित्यिक योगदान को हमेशा याद किया जायेगा । 21 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012072
Book TitleDayachandji Sahityacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
PublisherGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
Publication Year2008
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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